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हिमाचलः डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पतालों में मरीज बेहाल, अफसरशाही का रवैया सुस्त
हिमाचल में मेडिकल ऑफिसर (Medical Officer)पिछले 6 दिन से रोजाना 2 घंटे की पेन डाउन स्ट्राइक (Pen down strike)कर रहे हैं। डॉक्टरों की हड़ताल के चलते मरीजों एवं तीमारदारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन राज्य सरकार( State govt) इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है जबकि मरीज रोज सुबह के समय परेशानी से जूझते हैं। हाल यह है कि 6 दिन की हड़ताल के बाद भी अफसर एसोसिएशन को बातचीत के लिए भी नहीं बुलाया गया है, जबकि डॉक्टरों ने 17 फरवरी तक 2 घंटे की पेन डाउन स्ट्राइक का ऐलान कर रखा है। इसके बाद डॉक्टर फुल-डे स्ट्राइक पर जा सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं ( Health Services)पूरी तरह पटरी से उतर जाएंगी। बताया जा रहा है कि सीएम जयराम ठाकुर जल्द डॉक्टरों की मांगों का समाधान निकालने को कह चुके हैं, लेकिन अफसरशाही सुस्त रवैया अपनाए गहुए हैं।
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हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन शिमला के अध्यक्ष डॉ. दीपक कैंथला ने बताया कि सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। सरकार ने अन्य संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया है, लेकिन डॉक्टरों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। कोरोना संकट के दौरान डॉक्टरों ने अहम भूमिका निभाई है, लेकिन अब सरकार चिकित्सकों की सेवा को भुला रही है। डॉक्टरों की मांग है कि पंजाब के तर्ज पर वेतन दिया जाए और वेतन विसंगतियों को दूर किया जाए। डॉक्टर 24 घंटे अस्पतालों में ड्यूटी देते हैं उसके बाद भी उन्हें सम्मान जनक वेतन नहीं दिया जा रहा है। अगर सरकार ने मांगों को पूरा नहीं किया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा और आगामी रणनीति तय की जाएगी। मेडिकल अफसर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जीवानंद ने बताया कि अभी तक उन्हें वार्ता के लिए नहीं बुला गया है। यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गई तो 17 फरवरी से डॉक्टर अपने आंदोलन को तेज करेंगे। मरीजों को हर परेशानियों से उन्हें पूरी हमदर्दी है, लेकिन ड़ाक्टरों ने मजबूरी में हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।