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FAO की वर्षगांठ पर #PM_Modi ने जारी किया 75 रुपए का सिक्का, बोले – कुपोषण के खिलाफ लड़ी मजबूत लड़ाई
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने आज खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर 75 रुपए का स्मारक सिक्का जारी किया। इसके साथ ही हाल में विकसित 8 फसलों की 17 जैव-संवर्धित किस्में राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। दुनियाभर में जो लोग कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, मैं उन्हें भी बधाई देता हूं। आज जो 75 रुपए का विशेष सिक्का जारी किया गया है वो भारत की 130 करोड़ की जनता की तरफ से आपकी सेवाभावना का सम्मान है। एफएओ के विश्व खाद्य कार्यक्रम को इस वर्ष का नोबल शांति पुरस्कार मिलना भी एक बड़ी उपलब्धि है।
LIVE: PM Shri @narendramodi releases commemorative coin to mark 75th anniversary of Food and Agriculture Organisation. #SahiPoshanDeshRoshan https://t.co/WYBrtzPzcY
— BJP (@BJP4India) October 16, 2020
भारत को खुशी है कि इसमें भी हमारी साझेदारी और हमारा जुड़ाव ऐतिहासिक रहा है। इन सभी के प्रयासों से ही भारत कोरोना संकट में भी कुपोषण (Malnutrition) के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहा है। मोदी ने कहा कि भारत के किसान, हमारे कृषि वैज्ञानिक, आंगनवाड़ी और आशा कार्याकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का मजबूत किला है। इन्होंने अपने परिश्रम से जहां देश का अन्न भंडार भरा है, वहीं दूर-सुदूर गरीब तक पहुंचने में सरकार की बहुत मदद की है। पीएम मोदी ने कहा कि एफएओ ने बीते दशकों में कुपोषण के खिलाफ भारत की लड़ाई को बहुत नजदीक से देखा है। देश में अलग-अलग स्तर पर कुछ विभागों द्वारा प्रयास हुए थे, लेकिन उनका दायरा या तो सीमित था या टुकड़ों में बिखरा पड़ा था। जब 2014 में मुझे देश की सेवा करने का मौका मिला तब मैंने देश में नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए।
पीएम श्री @narendramodi ने आज खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया एवं हाल ही में विकसित 8 फसलों की 17 जैव-संवर्धित किस्में राष्ट्र को समर्पित की। #SahiPoshanDeshRoshan pic.twitter.com/8VRspJ0dLU
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पीए मोदी ने अपने संबोधन में कहा –
आज भारत में निरंतर ऐसे रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के प्रति भारत के कमिटमेंट को दिखाते हैं। खेती और किसान को सशक्त करने से लेकर भारत के सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक में एक के बाद एक सुधार किए जा रहे हैं।
क्या आप जानते हैं कि कोरोना के कारण जहां पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है, वहीं भारत के किसानों ने इस बार पिछले साल के प्रोडक्शन के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया? क्या आप जानते हैं कि सरकार ने गेहूं, धान और दालें सभी प्रकार के खाद्यान्न की खरीद के अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
छोटी आयु में गर्भ धारण करना, शिक्षा की कमी, जानकारी का अभाव, शुद्ध पानी न होना, स्वच्छता की कमी ऐसे अनेक वजहों से हमें वो अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए थें जो कुपोषण की लड़ाई में मिलने चाहिए थे: पीएम @narendramodi #SahiPoshanDeshRoshan pic.twitter.com/wqt3Z0T4oB
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इस दौरान भारत ने करीब-करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए का खाद्यान्न गरीबों को मुफ्त बांटा है।
बीते कुछ महीनों में पूरे विश्व में कोरोना संकट के दौरान भुखमरी-कुपोषण को लेकर अनेक तरह की चर्चाएं हो रही हैं। बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स अपनी चिंताएं जता रहे हैं कि क्या होगा, कैसे होगा? इन चिंताओं के बीच, भारत पिछले 7-8 महीनों से लगभग 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन उपलब्ध करा रहा है।
भारत में पोषण अभियान को ताकत देने वाला एक और अहम कदम आज उठाया गया है। आज गेहूं और धान सहित अनेक फसलों के 17 नए बीजों की वैरायटी, देश के किसानों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।
वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित करने के प्रस्ताव के पीछे भी कुछ इसी तरह की भावना है। इससे भारत ही नहीं विश्व भर को दो बड़े फायदे होंगे। एक तो पौष्टिक आहार प्रोत्साहित होंगे, उनकी उपलब्धता और बढ़ेगी। दूसरा जो छोटे किसान होते हैं, जिनके पास कम जमीन होती है, उन्हें बहुत लाभ होगा।
किसानों को लागत का डेढ़ गुणा दाम MSP के रूप में मिले, इसके लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।
MSP और सरकारी खरीद, देश की फूड सिक्योरिटी का अहम हिस्सा हैं। इसलिए इनका जारी रहना स्वभाविक है।
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मैं आज एफएओ को विशेष धन्यवाद देता हूं कि उसने वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को पूरा समर्थन दिया है।
कुपोषण से निपटने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहा है। अब देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें पौष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक इत्यादि ज्यादा होते हैं।
2014 के बाद देश में नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए। हम इंटीग्रेटिड अप्रोच लेकर आगे बढ़े, होलिस्टिक अप्रोच लेकर आगे बढ़े। तमाम सिलोस को समाप्त करके हमने एक मल्टी-डाइमेंशनल रणनीति पर काम शुरू किया।
एफएओ ने बीते दशकों में कुपोषण के खिलाफ भारत की लड़ाई को बहुत नजदीक से देखा है। देश में अलग-अलग स्तर पर कुछ विभागों द्वारा प्रयास हुए थे, लेकिन उनका दायरा या तो सीमित था या टुकड़ों में बिखरा पड़ा था।
जब भारत का किसान सशक्त होगा, उसकी आय बढ़ेगी तो कुपोषण के खिलाफ अभियान को भी उतना ही बल मिलेगा।
मुझे विश्वास है कि भारत और FAO के बीच बढ़ता तालमेल इस अभियान को और गति देगा।
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भारत के किसान, हमारे कृषि वैज्ञानिक, आंगनवाड़ी और आशा कार्याकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का मजबूत किला है। इन्होंने अपने परिश्रम से जहां देश का अन्न भंडार भरा है, वहीं दूर-सुदूर गरीब तक पहुंचने में सरकार की बहुत मदद की है।
छोटी आयु में गर्भ धारण करना, शिक्षा की कमी, जानकारी का अभाव, शुद्ध पानी न होना, स्वच्छता की कमी ऐसे अनेक वजहों से हमें वो अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए थे जो कुपोषण की लड़ाई में मिलने चाहिए थे।
भारत के हमारे किसान साथी- हमारे अन्नदाता, हमारे कृषि वैज्ञानिक, हमारे आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का आधार हैं। इन्होंने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर, गरीब से गरीब तक पहुंचने में ये सरकार की मदद भी कर रहे हैं।