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शिमला/मंडी। पंजाब पुलिस के पूर्व महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी (SIT) ने कोशिशें तेज कर दी हैं। सबसे पहले तो विशेष जांच दल ने शुक्रवार को चंडीगढ के सेक्टर-20 स्थित मकान नंबर 3048 पर डीएसपी बिक्रम जीत सिंह बराड़ की अगुवाई में छापेमारी की। यहां पर पूर्व डीजीपी पुलिस के हाथ नहीं लगे। ऐसे में पुलिस ने डीजीपी की कोठी पर अपना ताला लगा दिया। इसके अलावा मोहाली और हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित चरखड़ी में उनके फार्म हाउस पर भी विशेष जांच दल ने दबिश दी है। सैनी तीनों ठिकानों पर नहीं मिले।
इसके बाद शिमला में कलस्टन में भी छापेमारी की जा रही है। बता दें कि कलस्टन में काफी संख्या में फ्लैट्स हैं। आरकेएमबी क़ॉलेज के पास स्थित कलस्टन के पास पुलिस भी मौजूद है। इसके पहले मंडी जिला के सुंदरनगर उपमंडल के तहत आने वाले जंखरी गांव स्थित उनके फार्म हाउस पर पंजाब पुलिस की टीम ने छापेमारी की। सुबह सवेरे पंजाब पुलिस की टीम यहां स्थित फार्म हाउस पहुंची और पूरे फार्म हाउस को खंगाल डाला, लेकिन सुमेध सिंह सैनी पुलिस को यहां नहीं मिला। काफी देर तक यहां रूकने और कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत करने के बाद पंजाब पुलिस की यह टीम वापिस लौट गई है। इससे पहले भी सुमेध सिंह सैनी ने कई बार हिमाचल में प्रवेश करने का प्रयास किया था, लेकिन वे सफल नहीं हो सके थे।
पूर्व डीजीपी पर आईएएस अधिकारी के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी के अपहरण और कत्ल मामले में धारा 302 के तहत केस दर्ज है। बलवंत सिंह मुल्तानी मामला उस वक्त का है जब सुमेध सिंह सैनी (Sumedh Singh Saini) चंडीगढ़ के एसएसपी हुआ करते थे। सुमेध सिंह सैनी पर चंडीगढ़ में हुए आतंकी हमले के बाद मुल्तानी को पकड़ा गया था। हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिकर्मी मारे गए थे। आरोप है कि वर्ष 1991 में सैनी की हत्या के विफल प्रयास के बाद पुलिस ने बलवंत सिंह मुल्तानी (Balwant Singh Multani) का अपहरण कर लिया था। सैनी पर मुल्तानी के अपहरण और फिर उसकी हत्या का आरोप लगा था। मुल्तानी के भाई ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई थी, जिसके आधार पर यह केस दर्ज किया गया था।
सुमेध सिंह सैनी पंजाब के कड़क अफसरों में से एक माने जाते थे। आतंकवाद के दौरान में केपीएस गिल के बाद आतंकियों की हिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहकर सुपर कॉप के रूप में सैनी ने पहचान बनाई। 1982 बैच के आइपीएस सैनी पूर्व डीजीपी केपीएस गिल के सबसे करीबी अफसरों के रूप में माने जाते थे। वह फिरोजपुर, बटाला, बठिंडा, लुधियाना, रूपनगर व चंडीगढ़ के एसएसपी के रूप में भी रहे। सैनी को अकाली-बीजेपी सरकार ने 54 साल की उम्र में ही डीजीपी की कुर्सी पर बैठा दिया था। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ सिटी सेंटर व अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट घोटाले के केस दर्ज करवाने को लेकर भी सैनी कांग्रेसियों के निशाने पर आए थे।
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