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30 KM पीठ पर उठाकर अस्पताल पहुंचाई मरीज, कुल्लू के इस गांव में ना तो सड़क, ना बिजली
Last Updated on February 16, 2021 by
कुल्लू। हिमाचल में कितने गांव सड़क सुविधा (Road Facility) से जुड़ चुके हैं इसका अंदाजा आप कुल्लू जिला (Kullu District) के बंजार (Banjar) के अति दुर्गम क्षेत्र शागटी मोरड़ से लगा सकते हैं। गाड़ापार पंचायत (Gadapar Panchayat) के शागटी मरोड़ गांव में कोई बीमार हो जाता है तो उसे पीठ पर उठाकर करीब 25 से 30 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। यहां लोग आज दयनीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं। आप हैरान रह जाएंगे अगर आपको बता दें कि यहां के घरों में बिजली तक की सुविधा (Electricity Facility) नहीं पहुंची है। नेता विकास के दावे करते हैं, लेकिन शागटी मरोड़ के हालात देख कर नेताओं के विकास के दावे हवा हो जाते हैं। जानकारी के अनुसार शागटी मरोड़ गांव (Shagati Maror Village) की लीला देवी अचानक बीमार हो गईं। इसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाने के लिए परिजनों को उन्हें पीठ पर उठाकर करीब 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।
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आपको बता दें कि जीवा रेंज, सैंज रेंज और तीर्थन रेंज (Jeeva Range, Sainj Range and Tirthan Range) करीब 13 पंचायतों के लोग इसी तरह का दंश झेल रहे हैं। यहां ना तो सड़क सुविधा है और कई गांवों में तो आज तक बिजली (Electricity)भी नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में लोग जैसे-तैसे दिन काटते हैं और भगवान से दुआ करते हैं कि कोई बीमार ना पड़े, क्योंकि कोई शागटी मरोड़ और इसके आसपास के इलाकों में बीमार पड़ता है तो उसे कई किलोमीटर पीठ पर उठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। जानकारी के अनुसार शागटी मरोड़ में 100 से ज्यादा लोग रहते हैं। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं यहां लोगों की संख्या भी बहुत कम नहीं है।
क्या है विकास नहीं पहुंचने की वजह
जानकारी के अनुसार शागटी मरोड़ गांव सहित करीब 13 पंचायतें ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान कुल्लू के अंतर्गत पड़ती है। इस पार्क को विश्व विरासत घोषित किया गया है। यूनेस्को ने दुनिया भर में 1,052 हैरीटेज साइट्स को वर्ल्ड हैरीटेज साइट्स घोषित किया है। इनमें से 36 भारत में हैं और ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क भी इन्हीं में से एक है। स्थानीय लोग बताते हैं कि विश्व विरासत घोषित होने के कारण यहां काम नहीं करवाए जाते हैं। ना तो गांव में सड़कें हैं और कई गांवों में तो बिजली तक भी नहीं है। हैरानी की बात यह है कि गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं हैं। लोगों की मांग है कि गांव को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए और बिजली की सुविधा भी दी जाए।