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हिमाचल के दुर्गम क्षेत्रों के लिए एनएच की तर्ज पर बनेंगे रोपवे, केंद्र से मिलेगी फंडिंग
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आज भी सड़क सुविधा नहीं है। जिसके चलते प्रदेश सरकार ने हिमाचल में रोपवे कॉर्पोरेशन का निर्माण किया है। जिसके तहत इन क्षेत्रों को एनएच की तर्ज पर रोप वे से जोड़ा जाएगा। यह जानकारी सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) ने आज धर्मशाला में दी।
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उन्होंने कहा कि हिमाचल के कई दुर्गम क्षेत्र ऐसे हैं जहां सड़क सुविधा नही दी जा सकती। इन क्षेत्रों के लिए कॉर्पोरेशन विभाग अलग से वहां रोपवे निर्माण की संभावनाओं को तलाशेंगे और इसको लेकर रूपरेखा बनाएगा, जिसे वह सरकार को देगा। उसके आधार पर उस क्षेत्र में रोपवे सुविधा उपलब्ध करवाने पर काम किया जाएगा। सीएम जयराम ने कहा कि सरकार ने केंद्र सरकार से नावार्ड के अंतर्गत इसके लिए बजट का प्रावधान करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि फाइनेंस मिनिस्ट्री से आग्रह किया गया है कि हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी क्षेत्र है इसके तर्ज पर एनएच की तरह रोपवे के लिए भी फंडिंग का प्रावधान किया जाए। उन्होंने कहा कि यह मामला केंद्र सरकार से उठाया गया था और अब मामला आगे बढ़ा है। हमे पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार इसे मंजूरी दे देगी।
वहीं सीएम जयराम ठाकुर ने आज धर्मशाला में राज्य के लिए जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) के आर्थिक सहयोग से 1010.60 करोड़ की हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण संवर्धन परियोजना एचपीसीडीपीद्ध के शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता की। सीएम जयराम ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैए क्योंकि इन क्षेत्रों में कुल जनसंख्या के 90 प्रतिशत से अधिक लोग रहते हैं और लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि सीमित वित्तीय संसाधनों और कोरोना महामारी के कारण मंदी के बावजूदए वर्तमान सरकार ने राज्य के सर्वांगीण और समान विकास के लिए सिंचाईए कृषिए बागवानीए वानिकी और संबद्ध क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि जाइका सहायता प्राप्त फसल विविधिकरण परियोजना के दूसरे चरण को राज्य के सभी 12 जिलों में लागू किया जाएगा और इससे राज्य के किसान परिवारों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को अधिक बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि परियोजना का पहला चरण 2011 से प्रायोगिक आधार पर राज्य के पांच जिलों मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में कार्यान्वित किया जा रहा है, जिससे जिलों के किसानों की अर्थव्यवस्था बदल गई है। इस
परियोजना का मुख्य उद्देश्य फसल विविधिकरण के एक सफल मॉडल का प्रसार करना और 2031 तक परियोजना क्षेत्र में सब्जी उत्पादन क्षेत्र को 2500 हेक्टेयर से बढ़ाकर 7000 हेक्टेयर करना है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि भारत और जापान दोनों ने खाद्यान्न के थोक उत्पादन के बजाय सतत उत्पादन की प्रणाली विकसित की है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भी सतत विकास के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने बजटीय और योजना प्रक्रिया में सतत विकास लक्ष्यों का सहयोग कर उन्हें संस्थागत रूप दिया है और इन लक्ष्यों को रिकार्ड समय में हासिल करने के लिए तत्पर है।