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इस गांव में रहते हैं रूस-अमेरिका-अफ्रीका-जापान और जर्मनी, एक केस से चकराया थानेदार का दिमाग
यदि कोई आपसे कहे कि रूस (Russia) और जर्मनी मर चुके हैं। रूस की मौत 2012 और जर्मनी की मौत 2017 में हुई तो आपके कानों को यकीन नहीं होगा। अमेरिका (America), अफ्रीका और जापान हमेशा एक साथ रहते हैं और दोनों को याद करते हैं। ऐसा कहा जाए तो आप सोचने पर जरूर मजबूर हो जाएंगे, लेकिन ये बात सोलह आने सच। कुछ ऐसा ही आश्चर्य बिहार (Bihar) के बगहा के गांव में आने वाले उन लोगों को होगा, जो यहां पहली बार आया हो। बगहा के सिसवा में 5 देशों की चर्चा रोज होती है। दरअसल, सिसवा बसंतपुर पंचायत के जामदार टोला में पांच भाई हैं, जिनके नाम अमेरिका, अफ्रीका (Africa), जर्मनी, रूस और जापान हैं। इन भाइयों में से रूस और जर्मनी की मौत हो चुकी है।
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विश्व युद्ध के नाम पर रख दिए नाम
इन लोगों के इस तरह के नाम के भी पीछे एक कहानी है। इनके परिवार में इन लोगों के चचेरे भाई अकलू शर्मा थे। देश की आजादी (country’s independence) के समय वो भारतीय फौज के हिस्सा बने। लोग बताते हैं कि अमेरिका का जन्म 1950 में हुआ। उस समय फौज में बड़े देशों में अमेरिका की खूब चर्चाएं होती थी। फौज से लौटकर अकलु जब घर आए तो उन्होंने अपने भतीजे का नाम अमेरिका रख दिया। इसी तरह एक के बाद एक अन्य भाई का जन्म होता गया और इन लोगों का नाम उस देश के नाम पर पड़ता गया जो उस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में शामिल रहा।
मजाक भी बना नाम, लेकिन पिता ने पैदा किए देश
ये भाई जैसे-जैसे बड़े होते गए। हालांकि इन्हें इन नामों की वजह से परेशानियां हुईं। मजाक भी बनाया गया, लेकिन इसके बावजूद इन भाइयों के नाम सभी दस्तावेजों में अमेरिका, अफ्रीका, जर्मनी (Germany), रूस और जापान ही लिखा गया। इन भाइयों के पिता चंनर शर्मा हैं।
नाम की वजह से कभी नहीं दर्ज हुई एफआईआर
जब भी इन भाइयों के नामों की चर्चा होती है तो गांव और आसपास के लोग एक कहानी जुबानी सुना डालते हैं। यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि 35 साल पहले धुरन मिस्त्री इस गांव में रहा करते थे। जिसके यहां से इन भाइयों की झगड़ा हो गई। झगड़ा इतना बढ़ा कि मामला थाने (Police Station) पहुंच गया। धुरन मिस्त्री आवेदन लेकर थाने पहुंचे। वहां पर इन पांचों भाइयों का नाम आवेदन में देकर एक एफआईआर (FIR) दर्ज कराना चाहे, लेकिन आवेदन पर इन देशों का नाम अंकित होने के कारण थानेदार ने आवेदक को पागल समझ कर थाने से खदेड़ दिया।
रूस और जर्मनी की हो चुकी है मौत
इन पांच भाइयों में से तीसरे और चौथे नंबर के भाई रूस और जर्मनी की मौत हो चुकी है। रूस की मौत 10 साल पहले और जर्मनी की मौत 5 साल पहले हुई। स्थानीय लोग बताते हैं कि इन भाइयों की लड़ाई होते किसी ने नहीं देखा था। आज भी जब गांव में जाते हैं तब बचे तीन भाई इकट्ठे दिखाई दे जाते हैं। इस गांव में रिश्तेदारी से आए लोग जब इनकी नामों को सुनते हैं तो इनसे मिलने का असर नहीं छोड़ते। यह लोग अपने नाम के वजह से आसपास के कई पंचायतों में जाने जाते हैं। इनके गांव के आसपास एक के बारे में पूछने पर लोग अपनी हंसी को नहीं रोक पाते। हंसी पूछने पर पूरी कहानी बता डालते हैं।