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हिमाचल का ये शख्स 2 साल से कोमा में, इलाज पर खर्च हुए लाखों- मिले सिर्फ 15 हजार
Last Updated on August 18, 2021 by saroj patrwal
ऊना। परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला मुखिया 2 वर्ष से कोमा में है, ब्रेन के काम ना करने के चलते वह जड़ अवस्था में ऐसे ही बिस्तर पर लेटा हुआ है। जबकि परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे किस तरह जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं, यह वही जानते हैं। करीब 2 साल पूर्व डिप्रेशन की बीमारी के बाद संजीव कुमार का ब्रेन काम करना बंद कर गया। वही परिवार को संजीव के भाइयों ने यथासंभव सहायता भी प्रदान की। जिनमें परिवार के पालन-पोषण के साथ-साथ खुद संजीव कुमार की दवा का भी खर्चा उठाया गया। अब जबकि सबके हाथ खड़े हो गए हैं तो ऐसे में संजीव की पत्नी मोनिका जमीन बेचकर पति का इलाज करवाना चाहती है।
हरोली उपमंडल के लूठड़े गांव निवासी एक परिवार की कहानी हर किसी का दिल पसीज देने वाली है। करीब 2 साल पहले लंबी बीमारी के बाद संजीव कुमार का ब्रेन काम करना बंद कर गया था। जिसके बाद से लेकर आज दिन तक संजीव कुमार कोमा की हालत में है। पति के इलाज के लिए पत्नी ने बचाई हुई तमाम धनराशि खत्म कर दी। वही संजीव के भाइयों ने भी यथासंभव अपने भाई के परिवार की मदद की, चाहे वह परिवार के पालन पोषण की बात हो या फिर संजीव की दवाओं के खर्चे की, लेकिन अब उनके भी हाथ खड़े हो गए हैं। ऐसी परिस्थिति में अब मोनिका ने अपने पति के इलाज के लिए जमीन जायदाद को बेचने का फैसला लिया तो इन परिस्थितियों में भी कानून आड़े आ गया और अब उसने पति के नाम वाली जमीन बेचने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ऐसा नहीं है कि इस परिवार ने सरकार से मदद नहीं मांगी, सरकार को परिवार ने लाखों रूपये के बिल भेजे है लेकिन अभी तक इस परिवार को मात्र 15 हजार रूपये की आर्थिक मदद ही सरकार की तरफ से मिली है।
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लंबी जदोजहद के बाद संजीव को इस माह से ही दो हजार रूपये की पेंशन भी शुरू हो गई है। लेकिन संजीव के इलाज पर हर माह हजारों का खर्च होने और परिवार के पालन पोषण करने के लिए दो हजार रूपये कहां तक मददगार साबित होंगे। अब थक हार कर संजीव की पत्नी मोनिका ने डीसी ऑफिस ऊना में पहुंचकर डीसी राघव शर्मा के आगे भी फरियाद लगाई है और डीसी ऊना ने मोनिका को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। मोनिका ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए बताया कि किस तरह उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है और सरकार की तरफ से मदद के नाम पर सिर्फ 15 हजार रूपये ही उन्हें मिले है।
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