-
Advertisement
चैत्र नवरात्रः इस बार स्वार्थ सिद्ध व अमृत सिद्धि योग है विशेष लाभकारी
Chaitra Navratri: मां दुर्गा की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरु हो रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार को तिथि क्षय नहीं है। नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होती है और भक्त नौ दिनों तक मां का व्रत करते हैं। नवरात्र के साथ हिंदू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्र शुरु हो रहे हैं। इस बार अश्वनी नक्षत्र व स्वार्थ सिद्ध तथा अमृत सिद्धि योग भी नवरात्र में बन रहे हैं। नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने का भी विधान है। घट स्थापना, कलश स्थापना को कहते हैं। यह कलश 9 दिन तक निर्धारित स्थान पर रखा जाता है। पूरे 9 दिन तक इसी कलश के पास भक्त गण माता दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा अर्चना करते है।
दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है।
घट स्थापना मुहूर्त का समयः 13 अप्रैल को 5.45 से प्रातः 9.59 तक और अभिजित मुहूर्त पूर्वाह 11.41 से 12 32 तक है।
इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इसके लिए कुछ सामग्री की आवश्यकता होती है। इन में जल से भरा हुआ पीतल, चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश, पानी वाला नारियल, रोली या कुमकुम, आम के 5 पत्ते, नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा ,लाल सूत्र/मौली, साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के,कलश ढकने के लिए ढक्कन और जौ।
आप अपने मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित करें। जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है वहां पर किसी बर्तन के अन्दर मिट्टी भरकर रखें या फिर ऐसे ही जमीन पर मिट्टी का ढेर बनाकर उसे जमा दें। यह मिट्टी का ढेर ऐसे बनाएं कि उस पर कलश रखने के बाद भी कुछ जगह बाकी रह जाए।
कलश के ऊपर रोली अथवा कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर मौली बांध दें। इसके बाद कलश में थोड़ा गंगाजल डालें और बाकी शुद्ध पीने के पानी से कलश को भर दें। जल से भरे कलश के अंदर थोड़े से अक्षत (चावल), 2-4 दूर्वा, साबुत सुपारी, और 1 या दो रुपये का सिक्का डालकर चारों ओर आम के 4-5 पत्ते लगा दें। फिर मिट्टी या धातु के बने ढक्कन से कलश को ढक दें। इस ढक्कन पर भी स्वस्तिक बनाएं।
इस ढक्कन पर आपको स्वस्तिक बनाना होगा। फिर उस ढक्कन पर थोड़े चावल रखने होंगे। फिर एक नारियल पर लाल रंग की चुनरी लपेटें। इसे तिलक करें और स्वस्तिक बनाएं।
नारियल को ढक्कन के ऊपर चावल के ढेर के ऊपर रख दें। नारियल का मुख हमेशा अपनी ओर ही रखे चाहे आप किसी भी दिशा की ओर मुख करके पूजा करते हों। दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group