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जज्बे को सलाम : Delivery के तीन हफ्ते बाद बेटी को गोद में लिए काम पर लौटीं SDM
लखनऊ। कोरोना के समय जहां कई लोगों ने डर कर जिंदगी गुजारी, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने दूसरों के बारे में सोचकर अपना फर्ज बखूबी निभाया। कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने निजी जिंदगी से ज्यादा फर्ज को अहमियत दी। इनहीं में से एक हैं मोदीनगर (Modinagar) की उप-मंडल मजिस्ट्रेट सौम्या पांडे। कोरोना संकट में सौम्या पांडे मां बनने के तीन हफ्ते बाद ही काम पर लौट आई हैं। सोशल मीडिया पर इनके जज्बे की खूब चर्चा हो रही है।
मोदीनगर की उप-मंडल मजिस्ट्रेट सौम्या पांडे (26) सात महीने की गर्भवती थीं, जब उन्हें जुलाई में कोविड के लिए गाजियाबाद जिला नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। ऐसे समय में जब जिले में हर दिन लगभग 100 मामले सामने आ रहे थे तो उनके पास मातृत्व अवकाश (maternity leave) लेने का बेहतर विकल्प था। लेकिन उनके लिए खुद के फर्ज से ज्यादा समाज अहम था लोगों का स्वास्थ्य । 17 सितंबर को उन्होंने मेरठ के एक अस्पताल में एक लड़की को जन्म दिया और तीन हफ्ते बाद फिर से काम पर लौट आईं। सौम्या पांडेय का कहना है कि कोविड के कारण बहुत से लोग काम कर रहे हैं जैसे की डॉक्टर, नर्स और कई अन्य। ऐसे मौके पर वो अपना आधिकारिक कर्तव्य नहीं छोड़ सकती थीं। मैंने केवल 22 दिनों की आवश्यक छुट्टी ली और डिलीवरी के तीन सप्ताह के भीतर फिर जुट गई। सौम्या कहती हैं कि उनके लिए खुद की जिम्मेदारी से अधिक परवाह समाज के प्रति जिम्मेदारी के निर्वहन करने में थी।
मोदी नगर की एसडीएम सौम्या पांडे ने 3 हफ्ते पहले प्यारी बेटी को जन्म दिया। सौम्या 3 हफ़्ते बाद ही अपने ड्यूटी पर लौट आई है। सौम्या का कहना है कि माँ औऱ ड्यूटी दोनों का फ़र्ज़ एक साथ अदा करने में उन्हें कोई दिक़्क़त नहीं। ऐसा महिलाएं हमेशा करती रही है। @dm_ghaziabad pic.twitter.com/GXd7OpNlWH
— Shuaib Raza | شعیب رضا (@ShoaibRaza87) October 12, 2020
सौम्या पांडे को प्रवासी मजदूरों के आंदोलन को रोकने के लिए लगाया था। नोडल अधिकारी होने के नाते, मुझे प्रशासन और चिकित्सा विभाग के बीच काम करना सुव्यवस्थित करना था। मैंने कोविड अस्पतालों का दौरा किया और डॉक्टरों और रोगियों के साथ बातचीत की और उसके अनुसार डेटा का आदान-प्रदान किया। डीएम और हम सभी अन्य अधिकारियों ने कोविड हेल्पलाइन की स्थापना की ताकि सूचनाओं को पारित करने में मदद मिल सके। मैंने हर समय विशेष रूप से अस्पताल के दौरे के दौरान एक चेहरे की ढाल, मुखौटा और दस्ताने पहने, आशा करते हैं कि सावधानियां पर्याप्त होंगी।