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कश्मीर में टारगेट किलिंग रोकने को चक्रव्यूह-जल्द दिखेगा असर
कश्मीर में टारगेट किलिंग रोकने के लिए चक्रव्यूह की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इसका असर आने वाले दिनों में दिखने लगेगा। चूंकि घाटी में एक बार फिर 1990 की तरह हिंदुओं को चुन.चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय डरा हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के पूरे ढांचे (Security Framework) को बदलने की तैयारी पूरी कर ली है। केंद्र शासित प्रदेश में बेस्ट पुलिसकर्मियों की पहचान कर उन्हें कम समय में स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। जम्मू.कश्मीर पुलिस के इन स्पेशल जवानों को थाने स्तर पर और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जाएगा। इस बाबत गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में घाटी में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा पर चर्चा हुई। इसी दौरान सॉफ्ट टारगेट हत्याओं को रोकने के लिए पुलिस तंत्र को मजबूत करने पर फोकस किया गया।
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घाटी (J&K) में हाल में की गई हत्याएं एक नए पैटर्न को दिखाती हैं। कम महत्व के टारगेट को युवाओं ने पिस्टल से निशाना बनाया। ये हमलावर अब तक पुलिस या खुफिया एजेंसियों के रडार पर भी नहीं थे और ये हाइब्रिड आतंकियों की एक नई नस्ल के रूप में उभरे हैं। ये ऐसे लोग होते हैं जो अचानक आसान लक्ष्य को टारगेट करते हैं और फिर समाज में घुलमिल जाते हैं। इन हमलों को अमरनाथ यात्रा में बाधा पहुंचाने के एक संगठित प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अमित शाह ने उच्चस्तरीय बैठक में खाका तैयार कर उसे जल्द से जल्द अमल में लाने की बात कही है।
बताया जा रहा है कि टारगेट किलिंग के लिए पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर मौजूद आतंकवादी अब हाइब्रिड आतंकियों का सहारा ले रहा हैं क्योंकि इनके लिए हाई-वैल्यू टारगेट को निशाना बनाना मुश्किल हो रहा था। बताया जा रहा है कि नई रणनीति के तहत अगले कुछ दिनों में माहौल खराब करने वाले स्थानीय लोगों, छोटे अपराधियों और आतंकियों से हमदर्दी रखने वाले लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जा सकता है। इसी तरह के कदम अक्टूबर 2021 में उठाए गए थे जब सिविल नागरिकों की हत्याओं का यही पैटर्न देखा गया था। सबूत मिलने पर गिरफ्तारियां भी की जाएंगी।