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मकर संक्रांति पर तिल दान से प्रसन्न होते हैं शनि देव
इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है। इस दिन पूजा पाठ पर दान का बड़ा महत्व है। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से तिल व गुड़ के लड्डू खाए जाते है और इनका दान भी किया जाता है। इस दिन तिल का एक अलग ही महत्व है। लोग तिल को किसी न किसी रूप में शामिल अवश्य करते हैं। यह बात तो हम सभी जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस पर्व को मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर के स्वामी शनि देव हैं। सूर्य और शनि देव भले ही पिता−पुत्र हैं लेकिन फिर भी वे आपस में बैर भाव रखते हैं। ऐसे में जब सूर्य देव शनि के घर प्रवेश करते हैं तो तिल की उपस्थिति के कारण शनि उन्हें किसी प्रकार का कष्ट नहीं देते।
तिल शनि की प्रिय वस्तु है। माना जाता है कि इस दिन अगर तिल का दान व उसका सेवन किया जाए तो इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं और उनका कुप्रभाव कम होता है। जो लोग इस दिन तिल का सेवन व दान करते हैं, उनका राहु व शनि दोष निवारण बेहद आसानी से हो जाता है।
शनि देव के अतिरिक्त सृष्टि के पालनहार माने जाने वाले विष्णुजी के लिए भी तिल बेहद खास है। मान्यता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है और अगर तिल का उपयोग इस दिन किया जाए तो इससे व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। साथ ही व्यक्ति को विष्णुजी की विशेष कृपा दृष्टि भी प्राप्त होती है।
क्या है पौराणिक कथा
मकर संक्रांति के दिन तिल खाने व उसका दान के पीछे एक पौराणिक कथा भी है।, सूर्य देव की दो पत्नियां थी छाया और संज्ञा। शनि देव छाया के पुत्र थे, जबकि यमराज संज्ञा के पुत्र थे। एक दिन सूर्य देव ने छाया को संज्ञा के पुत्र यमराज के साथ भेदभाव करते हुए देखा और क्रोधित होकर छाया व शनि को स्वयं से अलग कर दिया। जिसके कारण शनि और छाया ने रूष्ट होकर सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया।अपने पिता को कष्ट में देखकर यमराज ने कठोर तप किया और सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवा दिया लेकिन सूर्य देव ने क्रोध में शनि महाराज के घर माने जाने वाले कुंभ को जला दिया। इससे शनि और उनकी माता को कष्ट भोगना पड़ा।
तब यमराज ने अपने पिता सूर्यदेव से आग्रह किया कि वह शनि महाराज को माफ कर दें। जिसके बाद सूर्य देव शनि के घर कुंभ गए। उस समय सब कुछ जला हुआ था, बस शनिदेव के पास तिल ही शेष थे। इसलिए उन्होंने तिल से सूर्य देव की पूजा की।
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उनकी पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनिदेव को आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन काले तिल से सूर्य की पूजा करेगा, उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे। इसलिए इस दिन न सिर्फ तिल से सूर्यदेव की पूजा की जाती है, बल्कि किसी न किसी रूप में इसे खाया भी जाता है।