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आखिर क्यों बनाया गया नया संसद भवन, जानिए इससे क्या होंगे बदलाव
पीएम नरेंद्र मोदी अभी विदेश दौरे पर हैं। पीएम मोदी (PM Modi) 28 मई, 2023 को नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। संसद के नवनिर्मित भवन को गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है। आज हम आपको बताएंगे कि मौजूदा संसद भवन (Parliament House)में क्या कमियां थीं और नया संसद भवन क्यों जरूरी था।
बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों ने 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार से नया संसद भवन का निर्माण करने का आग्रह किया था। जिसके बाद 10 दिसंबर, 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद के नए भवन का शिलान्यास किया।
बनाने में लगे छह साल
भारत का संसद भवन सेंट्रल विस्टा के केंद्र में अवस्थित है। इस भवन को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया है। ये संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसको बनाने में छह साल लगे।
ऐसे बनी इमारत
संसद भवन या हाउस ऑफ पार्लियामेंट (House of Parliament) की इस इमारत में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद कार्यरत थी। साल 1956 में अधिक स्थान की मांग को पूरा करने के लिए संसद भवन में दो और मंजिलें जोड़ी गईं। साल 2006 में भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए संसद संग्रहालय को जोड़ा गया।
दिया ऐसा आकार
संसद भवन को डिजानरों द्वारा एक गोलाकार आकार को अंतिम रूप दिया गया था, जो कि काउंसिल हाउस के लिए एक कॉलेजियम डिजाइन का अनुभव देती थी।
नहीं है कोई दस्तावेज
कहा जाता है कि मुरैना, मध्य प्रदेश में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के अद्वितीय गोलाकार आकार ने परिषद भवन के डिजाइन को प्रेरित किया था। हालांकि, भवन के मूल डिजाइन का कोई अभिलेख या दस्तावेज नहीं है, जिसके चलते नए निर्माण और संशोधन अस्थायी रूप से किए गए हैं।
100 साल पुराना ग्रेड-1 भवन
साल 1921 में संसद भवन का निर्माण शुरू किया गया और फिर साल 1927 में इसे प्रयोग में लाया गया। ये भवन लगभग सौ साल पुराना एक विरासत ग्रेड-1 भवन है। पिछले कुछ साल में संसदीय कार्यों और उसमें काम करने वाले लोगों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है।
हुआ ऐसा बदलाव
साल 1956 में जोड़ी गई दो मंजिलों के कारण सेंट्रल हॉल (Central Hall) का गुबंद छिप गया है, जिससे भवन के आगे के भाग का परिदृश्य भी बदल गया है। इसके अलावा जाली की खिड़कियों को कवर करने से दोनों सदनों को कक्ष में रोशनी कम हो गई है।
नहीं है बैठने की जगह
बता दें कि भवन में बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है। इतना ही नहीं वहां दूसरी पंक्ति से परे कोई डेस्क नहीं है और सेंट्रल हॉल में भी सिर्फ 440 लोगों के बैठने की क्षमता है। हालांकि, जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और भी बढ़ जाती है।
बुनियादी ढांचे के हालात
बीते वर्षों के दौरान भवन में पानी की आपूर्ति लाइनों, सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, सीसीटीवी, अग्निशमन, ऑडियो वीडियो सिस्टम जैसी कई सेवाओं से जोड़ा गया, लेकिन इससे भवन में सीलन आ गई, जिससे भवन की हालत बिगड़ गई है।
आधुनिक बनाने की जरूरत
93 साल पुरानी इस इमारत की दृश्य-श्रव्य, ध्वनिक, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली, विद्युत, यांत्रिक, वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा अवसंरचना काफी पुरानी हो गई थी, जिस कारण इसे आधुनिक बनाने की जरूरत थी।
नहीं किया जा सकता भूकंपरोधी प्रमाणित
संसद भवन की पुरानी इमारत में अपनी संरचनात्मक मजबूती स्थापित करने के लिए समुचित दस्तावेजीकरण और मानचित्रण का अभाव है। जिसके चलते इस भवन को भूकंपरोधी प्रमाणित नहीं किया जा सकता है, जो कि विशेष रूप से चिंता का विषय है।
कार्यालय में भीड़ भाड़
गौरतलब है कि कार्यक्षेत्र में बढ़ती मांग के साथ, आंतरिक सेवा गलियारों को कार्यालयों में परिवर्तित किया गया। वहीं, स्थान की लगातार बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए कार्यक्षेत्र के अंदर उप-विभान बनाए गए, जिससे कार्यालय में भीड़ भाड़ हो गई।
इतनी बार हुई मांग
संसद के लिए नए भवन के निर्माण के लिए लोकसभा अध्यक्षों मीरा कुमार ने 12 जुलाई, 2012, सुमित्रा महाजन ने 09 दिसंबर, 2015 और ओम बिरला ने 02 अगस्त,2019 के 02.08.2019 ने अनुरोध किया था।
पर्यावरण का खास ख्याल
बता दें कि नए संसद भवन के लिए वन विभाग, जी.एन.सी.टी, दिल्ली से जामुन के 13 पेड़ों समेत अन्य 404 पेड़ों के प्रत्यारोपण के लिए अनुमति दी गई थी। वहीं, इन सभी पेड़ों को इको-पार्क में प्रत्यारोपित किया गया, जिनमें से 80 प्रतिशत पेड़ जीवित हैं।
नए भवन की खासियत
नया संसद भवन हर मामले में विश्व की सबसे आधुनिक इमारत के तौर पर तैयार किया गया है। इस भवन में दो हजार लोग प्रत्यक्ष और नौ हजार अप्रत्यक्ष रूप से बैठ सकेंगे। नई इमारत करीब 64,500 स्क्वायर मीटर में फैली हुई है और ये इमारत पूरी तरह भूकंपरोधी है।
नए संसद भवन में लोकसभा में 590 लोगों के बैठने की जगह है, वहीं नई लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में भी 336 लोगों के बैठने की जगह है। जबकि, नई राज्यसभा में 384 सीटें होंगी और विजिटर्स गैलेरी में 336 लोग बैठ सकेंगे।