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तो कल को नागा साधु भी दाखिला लेकर कहेगा, मैं तो धार्मिक कर्तव्य निभा रहा हूं!
Last Updated on September 16, 2022 by sintu kumar
देश के सभी सरकारी स्कूलों (Government Schools) में एक जैसी वर्दी लगाने की मांग उठ रही है। इसके पीछे का तर्क यह है कि इस कॉमन ड्रेस को लागू करने से सामाजिक एकता और समानता (Social unity and Equality) दिखेगी। यह मुद्दा एक विवाद बन कर उभरा है। इस संबंध में याची निखिल उपाध्याय (Nikhil Upadhyay) ने एक याचिका दर्ज करवाई थी। उसका कहना था कि ऐसा होने अनुशासन भी बढ़ेगा और समानता भी आएगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। इस संबंध में जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया (Justice Hemant Gupta and Sudhanshu Dhulia) की बेंच ने कहा कि यह एक ऐसा मामला ही नहीं जिसे आखिर कार कोर्ट में लेकर जाया जाए। वहीं दूसरी ओर याची की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने कहा है कि अदालत को इस मामले पर विचार करना चाहिए। यह एक संवैधानिक मुद्दा है। हर स्कूल में अलग-अलग ड्रेस होना राइट टू एजुकेशन एक्ट के विपरीत है, इसलिए देश के सभी स्कूलों में एक सी ड्रेस ही होनी चाहिए। इसमें स्टाफ और टीचरों (Staff and Teachers) को एक सी वर्दी की बात कही गई है। राइट टू एजुकेशन (Right to Education) के तहत एक ही ड्रेस होनी चाहिए।
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अदालत ने इन तर्क को खारिज कर दिया है। अदालत (Court) ने कहा है कि यह तय करना अदालत का काम नहीं है। इसके बाद याची ने अनुमति लेकर अर्जी को वापस ले लिया है। याची निखिल उपाध्याय ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में धर्मो की जरूरी अथवा गैर जरूरी परंपराओं को निभाने का कोई भी अर्थ नहीं होता। अतः यह जरूरी है कि स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेस कोड लागू किया जाए। याची ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो कल को कोई भी नागा साधु भी कॉलेज में एडमिशन ले सकता है और बिना कपड़े क्लास अटैंड करने पहुंच जाएगा।ऐसा करते हुए उसका तर्क होगा कि यह तो उसका जरूरी धार्मिक कर्तव्य है। याची निखिल उपाध्याय का कहना था कि कॉमन ड्रेस कोड लागू करने से सामाजिक एकता और समानता दिखेगी। स्कूलों एवं कॉलेजों में हिजाब को लेकर छिड़े विवाद के मद्देनजर यह अर्जी दाखिल की गई थी। इसे लेकर याचिका में कहा गया शैक्षणिक संस्थान सेकुलर कैरेक्टर वाले होते हैं। यहां ज्ञान, रोजगार की शिक्षा दी जाती है और लोगों को तैयार किया जाता है ताकि वे राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकें।