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हिमाचल के रिटायर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता जांचेंगे वकीलों की डिग्रियां
शिमला । हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता पूरे देश के वकीलों की डिग्रियों की जांच करेंगे। सुप्रीम के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय बैंच ने देश भर के वकीलों की डिग्रियों को जांचने के लिए 8 मेंबरों की एक कमेटी का गठन किया है। रिटायर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता इस 8 सदस्यीय कमेटी को हेड करेंगे। रिटायर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता के अलावा इस कमेटी में रिटायर्ड जस्टिस अरुण टंडन और राजेंद्र मेननए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदीए मनिंदर सिंह और बीसीआई के नोमिनेट 3 मेंबरों को भी शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ए जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने यह आदेश पारित किए। इस बैंच ने सभी यूनिवर्सिटीज और बोर्डों को बिना शुल्क लिए डिग्रियों की सत्यता की पुष्टि करने के आदेश दिए हैं। आदेश में राज्य बार काउंसिल के मांगे जाने पर बिना किसी देरी के कार्रवाई करने को कहा गया है। अदालत ने समिति को आदेश दिया है कि 31 अगस्त 2023 तक अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करें।
बार काउंसिल आफ इंडिया ने 2015 में बीसीआई प्रमाणपत्र और अभ्यास का स्थान ;सत्यापनद्ध नियम 2015 को नोटिफाई किया था। अधिवक्ताओं के सत्यापन के संबंध में बनाए गए इन नियमों को देश के कई राज्यों के हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। बाद में बीसीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्थानांतरण याचिका दायर की गई। बीसीआई की याचिका पर सभी उच्च न्यायालयों के समक्ष कार्यवाही को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। बीसीआई ने बाद में वकीलों के सत्यापन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। लेकिन विश्वविद्यालयों ने डिग्री प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने के लिए शुल्क की मांग की। इससे उच्च स्तरीय समिति को डिग्रियों के सत्यापन प्रक्रिया में कठिनाई का सामना करना पड़ा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के शुल्क लगाने पर रोक लगा दी थी।
अब कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि तब देश में वकीलों की संख्या 16 लाख थी लेकिन वर्तमान में यह 25.70 लाख होने का अनुमान है। अदालत ने कहा कि बीसीआई के जवाब में वकीलों के सत्यापन की स्थिति को दर्शाया गया है। राज्य बार काउंसिलों में नामांकित वकीलों को सत्यापन के बारे में घोषणापत्र देना था। लेकिन बीसीआई को सिर्फ 1ण्99 लाख घोषणाएं मिलीं। राज्य बार काउंसिलों में शामिल ज्यादातर वकीलों ने अभी तक अपना सत्यापन नहीं करवाया था। अदालत ने साब् किया कि बिना शैक्षिक योग्यता या डिग्री के वकील होने का दावा करने वाले लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है।
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