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#FarmersProtest : सरकार और किसान कमेटी बनाकर सुलझाएं मुद्दा, #SC ने जारी किया नोटिस
Last Updated on December 16, 2020 by
नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ पिछले 20 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। जनहित याचिकाओं में प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की अपील की गई। तमाम दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो किसानों के पक्ष को भी सुनना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में किसान संगठनों, केंद्र और पंजाब-हरियाणा की राज्य सरकारों को भी नोटिस (Notice) जारी किया है। कोर्ट ने सरकार-किसान और अन्य स्टेकहोल्डर्स की कमेटी बनाने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दा सहमति से सुलझना चाहिए, ऐसे में जल्द से जल्द कमेटी बनाकर चर्चा हो। अदालत की ओर से किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है, अब इस मसले पर पहले कल यानी 17 दिसंबर को सुनवाई होगी फिर आगे का निर्णय होगा।
याचिकाकर्ता ने दिया शाहीन बाग केस का हवाला
सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग केस (Shaheen bagh case) का हवाला दिया गया। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये एक महत्वपूर्ण विषय है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं। जिस पर वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग केस के वक्त कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहिए। बार-बार शाहीन बाग का हवाला देने पर चीफ जस्टिस ने वकील को टोका, उन्होंने कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है। CJI ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है।
अदालत में वकील जीएस मणि ने कहा कि मैं किसान परिवार से आता हूं, इसलिए अपील की है। जिस पर अदालत ने उनसे जमीन के बारे में पूछा, वकील ने बताया कि उनकी ज़मीन तमिलनाडु में है जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि तमिलनाडु की स्थिति को पंजाब-हरियाणा से नहीं तोला जा सकता है। चीफ जस्टिस ने अदालत में कहा कि जो याचिकाकर्ता हैं, उनके पास कोई ठोस दलील नहीं है। ऐसे में रास्ते किसने बंद किए हैं। जिस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं। इस पर CJI ने कहा कि जमीन पर मौजूद आप ही मेन पार्टी हैं। अदालत ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ। अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है, अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए।