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Himachal: सड़कों पर उतरे टैक्सी ऑपरेटर, उग्र आंदोलन को चेताया
सोलन/बिलासपुर। सोलन और बिलासपुर में टैक्सी यूनियन (Taxi union) ने रोष प्रदर्शन कर विरोध जताया। मांगें ना माने जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। सोलन में हिमाचल टैक्सी यूनियन (Himachal Taxi union) ने बाईपास पर प्रदर्शन किया। जिला भर में करीब 3,000 टैक्सी चालकों (Taxi Driver) ने अपना रोष जताया। इस दौरान टैक्सियों के पहिये थमे रहे। हिमाचल टैक्सी यूनियन सोलन के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार की नई टैक्सी पॉलिसी-2021 को एक अप्रैल से लागू करने जा रही है। इसमें बाहरी राज्यों को जाने वाली टैक्सियों को 26 हज़ार जबकि 23 सीटर वाहन चालकों को तीन लाख तक का टैक्स सालाना चुकाना पड़ेगा। वहीं बढ़ते पेट्रोल और डीजल (Petrol and diesel) के दामों को लेकर भी टैक्सी ऑपरेटर ने अपना रोष जाहिर किया है।
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हिमाचल टैक्सी यूनियन के प्रधान कमल कुमार ने कहा कि आज देश और प्रदेश के साथ-साथ जिला सोलन में भी टैक्सी ऑपरेटर ने भी अपना रोष जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि आज नेशनल टैक्स 1,000 रुपये से 26,000 कर दिया गया है। साथ ही साथ पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे है। वहीं, जो परमिट की अवधि पहले 10 से 12 साल होती थी, उसे अब घटाकर 8 साल कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन सब बातों को लेकर टैक्सी ऑपरेटर अपना रोष प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर अब भी सरकार नहीं मानी तो आने वाले समय में प्रदर्शन को और उग्र किया जाएगा।
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बिलासपुर (Bilaspur) में टैक्सी चालकों की समिति ने केंद्र व राज्य सरकारों की नीतियों के विरोध में 22 मार्च को सांकेतिक हड़ताल रखी। टैक्सी चालकों ने रोष रैली (Protest) निकाल कर जिला अध्यक्ष मंगल ठाकुर ने नेतृत्व में डीसी को ज्ञापन सौंपा। यह रोष रैली शाहतलाई, बरठी, भराड़ी, घुमारवीं, कंदरौर, झंडुता व बरमाणा से होकर बिलासपुर तक पहुंची। जिला अध्यक्ष मंगल ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार ने टैक्सी चालकों के हितों पर कुठाराघात किया है, जिसको किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि टैक्सी चालक पहले ही कोरोना (Corona) की मार झेल रहे हैं, उसके उपरांत डीजल व पेट्रोल की बढ़ती कीमतों सहित सरकार द्वारा टैक्सी चालकों पर थोपी गई नीतियों के विरोध में 22 मार्च को पूरे प्रदेश में सभी टैक्सियां खड़ी रही हैं। उन्होंने बताया कि सरकार डीजल पेट्रोल की बड़ी कीमतें वापस ले। निजी गाड़ियों के टैक्सी रूप पर में चलने पर प्रतिबंध हो। चालक-मालिक आयोग का गठन हो। चालान की बढ़ी दरें वापस हों और नेशनल टैक्स सीट के हिसाब से तय किया जाए। टैक्सी टेंडर में ठेकेदारी प्रथा बंद की जाए। नेशनल परमिट अवधि कम से कम 15 साल की जाए और हर यूनियन को ऑफिस और पार्किंग की सुविधा दी जाए। यदि इसके बाद भी सरकार ने उपरोक्त सभी समस्याओं का हल नहीं किया और बढ़े हुए टैक्स को वापस नहीं लिया तो देश भर में समस्त टैक्सी ऑपरेटर सड़कों पर उतर कर चक्का जाम करने से भी गुरेज नहीं करेंगे।