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![tell-jairam-how-much-himachal-loan-will-be-waived-from-pm-modi-sukhu](https://himachalabhiabhi.com/wp-content/uploads/2022/10/sukhu.jpg)
जयराम बताएं, पीएम मोदी से हिमाचल का कितना कर्ज माफ कराएंगे : सुक्खू
शिमला। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के हिमाचल प्रदेश दौरे पर कांग्रेस (Congress) चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) से तीखे सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि सीएम जनता को बताएं कि पीएम ने नरेंद्र मोदी ने आठ साल के कार्यकाल के दौरान किए दौरों में हिमाचल के लिए कौन सी बड़ी घोषणा की है। सीएम जयराम ठाकुर प्रदेश का कितना कर्ज पीएम नरेंद्र मोदी से माफ कराएंगे। प्रदेश 65 हजार करोड़ रुपए (65 thousand crore rupees) से अधिक कर्ज के तले दबा हुआ है। जन्म लेने वाला हर बच्चा कर्जदार पैदा हो रहा है। सीएम को पीएम से प्रदेश के लिए विशेष वित्तीय पैकेज लेना चाहिए, जिससे कि पहाड़ी प्रदेश की वित्तीय हालत सुधर सके। पीएम हर दौरे पर हिमाचल को अपना दूसरा घर बताते हैं। यहां के लोगों से प्यार भी जताते हैंए लेकिन झोली हर बार खाली छोड़ चले जाते हैं। इस बार के दौरे से प्रदेश वासियों को काफी उम्मीदें हैं। सीएम उनसे प्रदेश के लिए विशेष पैकेज मांगें। केवल लोगों को चुनावी चासनी में ही न लपेटें।
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प्रदेश में 14 लाख बेरोजगार युवा हैं। उन्हें रोजगार मुहैया कराने के लिए औद्योगिक पैकेज लिया जाए ताकि रियायतों के साथ नए उद्योग लगें और युवाओं को रोजगार मिले। आज प्रदेश में बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती है। इस कारण ही युवा पथभ्रष्ट होकर नशे को अपनाकर अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं। महंगाई कम करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की क्या योजना हैए यह भी आम जनता को बताया जाए। क्योंकिए बीते आठ साल में महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सीएम यह भी जवाब दें कि शिमला-मटौर समेत घोषित 69 नेशनल हाईवे और फोरलेन (69 national highways and four lanes declared including Shimla-Mataur) का क्या हुआ। कितनों को सरकार ने सिरे चढ़ाया और कितने जुमला साबित हुए। सुक्खू ने पूछा कि केंद्र सरकार विदेशी सेब पर आयात शुल्क कब बढ़ाएगी। सेब उत्पादक किसानों को कोई भी राहत देने में केंद्र व प्रदेश सरकार नाकाम रही है। सेब की खेती करने वाले किसान हर साल नुकसान झेल रहे हैं। सेब खरीद के लिए भी एमएसपी तय होनी चाहिए, ताकि किसानों को यह आस बनी रहे कि कम से कम इतना रेट तो उन्हें फसल का मिलना ही है।