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अजीब बीमारी: यहां अपने मां-बाप के शवों संग ऐसा काम करते हैं लोग
Fore Tribe weird Rituals : ब्रिटेन और पापुआ न्यू गिनी में पाई जाने वाली फोर जनजाति (Fore Tribe) पर वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है, जिसमें एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इस जनजाति के लोग अपने मृत रिश्तेदारों के दिमाग खाने की परंपरा का पालन करते थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 1960 के दशक तक इस जनजाति के कबीले में यह परंपरा थी कि परिजनों की मौत के बाद उन्हें जलाने या दफनाने के बजाय खा लिया जाता था।
महिलाएं खाती थी दिमाग
फोर जनजाति में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर, अंतिम संस्कार के रूप में एक दावत (feast) का आयोजन किया जाता था। इस दावत में पुरुष अपने मरने वाले रिश्तेदारों का मांस (Meat) खाते थे, जबकि महिलाएं उनके दिमाग (Brain) का सेवन करती थीं। यह जनजाति अपने प्रियजनों के सम्मान के रूप में इस प्रथा का पालन करती थी। उनका मानना था कि अगर मृत शरीर को दफनाया जाता है या कहीं पर छोड़ दिया जाता है, तो कीड़े (Worm) उसे खाते हैं। इसलिए, उनके अनुसार, मृतक से प्यार करने वाले लोग शरीर को खा जाएं, यह बेहतर है।
पित्त को छोड़, पूरा मांस खा जाते थे लोग
महिलाएं मृत व्यक्ति के शरीर से दिमाग निकालती थीं और बांस में भरकर पकाती थीं। शरीर के बाकी हिस्सों को भी पका कर खाया जाता था, सिवाय पित्ताशय के। हालांकि, महिलाओं की मौत पर केवल महिलाएं ही उनका दिमाग खाती थीं। फोर जनजाति के लोग यह नहीं जानते थे कि मानव मस्तिष्क में एक घातक अणु (molecule) पाया जाता है, जिसके सेवन से मौत हो सकती है। इस बीमारी के कारण जनजाति के लगभग दो प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती थी।
अब यह प्रथा खत्म होने को
शोध में यह पाया गया कि ‘प्रायन्स’ नामक प्रोटीन के कारण होने वाली बीमारियों में कुरू भी शामिल है, जो एक संक्रामक और लाइलाज न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है। मानव विज्ञानी शर्ले लिंडेनबॉम ने 1950 के दशक में यह खोज की कि जनजाति के लोगों में यह परंपरा एक मानसिक बीमारी के कारण है। इस बीमारी को कुरु कहा जाता है, जिससे नर्वस सिस्टम लगभग बंद हो जाता है। यह बीमारी संभवतः किसी इंफेक्शन के शिकार व्यक्ति के मस्तिष्क को खाने के कारण आई होगी और दूसरों में भी फैलती गई, जिससे यह परंपरा बन गई। हालांकि अब यह प्रथा खत्म होने को है।