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तिब्बती गुरु दलाईलामा बोले- अध्ययन ऐसा हो जिससे खुल जाए आंख
धर्मशाला। तिब्बती गुरु दलाईलामा (Tibetan Guru Dalai Lama) ने कहा कि भौतिक विकास की लालसा में दुनिया में सभी लोग जकड़े हुए हैं मगर आंतरिक विकास और शांति (Inner Growth and Peace) नहीं है। उन्होंने कहा कि शांति तो करोड़ों लोग पाना चाहते हैं मगर इसके लिए दया, करुणा के सिद्धांत (Principles of Mercy, Compassion) को अपनाना होगा। इसके बिना शांति का मिलना बहुत ही मुश्किल काम है। शैक्षणिक ढांचागत व्यवस्था में मन की शांति व आंतरिक विकास के विषय को जोड़ना चाहिए, जबकि आज जब बच्चा मां की गोद से स्कूल पहुंचता है तो वह सिर्फ और सिर्फ भौतिक विकास ही सीखता है। दलाईलामा ताईवानी बौद्ध संघ (Taiwanese Buddhist Association) के अनुरोध पर आचार्य धर्मकीर्ति विरचित प्रमाणवर्तिका कारिका के अध्याय दो पर तीन दिवसीय प्रवचन के प्रथम दिन बोल रहे थे।
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वहीं तीन सौ से अधिक ताईवानी बौद्ध संघ के मेंबर मैक्लोड़गंज (Mcleodganj) पहुंच चुके हैं। इस अवसर पर दलाई लामा ने कहा कि भौतिक विचार के बदले आंतरिक विकास पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी धर्म कहते हैं कि सभी अच्छे हृदय के व्यक्ति बनें मगर नालंदा में अलग तरह की व्याख्या की गई है। हमारा मन विचलित क्यों रहता है। हम परेशान क्यों रहते हैं। जब हम कर्म करेंगे तो आत्म संतुष्टि प्राप्त होगी।
How we live from day to day affects our future. Warm-heartedness is the key factor. I think about it always because it’s warm-heartedness that brings us peace of mind.
— Dalai Lama (@DalaiLama) October 3, 2022
तिब्बत में भी जब अध्ययन करते थे तो उस समय यह मान्यता थी कि यह पढ़ने के लिए प्रमाण नहीं, बल्कि सिद्धिी के लिए है। इस बारे में गहनता से अध्ययन किया गया है। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि प्रमाणवर्तिका केवल साक्षात्कार (Certificate Interview Only) के लिए है। अगर उससे मन में परिवर्तन नहीं होता है तो ग्रंथ का आप किस प्रकार से अध्ययन करते हैं। उन्होंने कहा कि सिद्धी ऐसी होनी चाहिए कि आंख खुल जाए। उन्होंने कहा कि प्रमाणवर्तिका के अध्ययन व अभ्यास से कई सवालों के जवाब मिलते हैं प्रमाणवर्तिका बौद्ध प्रमाण सिद्धि धर्म चक्र व ग्रंथों को लेकर सोच विचार करने की जरूरत है, उन्हें अध्ययन करने की जरूरत है उन्होंने कहा कि धम्म चक्र बौद्ध चक्र का आधार है।
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