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मौत के बाद भी उनके शरीर से आ रही सुगंध, Meditation Posture में है आज भी वो
रिवालसर। मौत के बाद भी अगर किसी के शरीर से सुगंध फैल रही हो, शरीर आज भी ध्यान की मुद्रा (Meditation Posture) में दिख रहा हो तो उसे साधारण व्यक्तित्व कैसे कह सकते हैं। 82 वर्षीय तेनजिन चोयडन (Tenzin Choedon) नाम की एक तिब्बती नन को बीते शुक्रवार को निधन के बाद आज भी ध्यान अवस्था में पाया गया है। वेन तेनजिन के नाम से जानी जाने वाली तेनजिन चोयडन दक्षिण भारत स्थित कोल्लेगल तिब्बती बस्ती की रहने वाली थीं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला स्थित रिवाल्सर (Rewlsar) के गुरु पद्मसम्भव चैरिटेबल और मेडिटेशन सेंटर (Guru Padmasambhava Charitable and Meditation Center) की पवित्र गुफाओं (Holy caves) में ध्यान के लिए 44 वर्षों से अधिक समय बिताया। उनका शरीर जिसे बौद्ध धर्म के मुताबिक थुकदाम की अवस्था में कहते हैं आज भी निधन के बाद चारों ओर नैतिक खुशबू फैला रहा है।
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थुकदाम एक बौद्ध घटना के रूप में वर्णित
थुकदाम एक बौद्ध (Buddhist phenomeno) घटना के रूप में वर्णित किया गया है, इसमें कहा जाता है कि शरीर की वास्तविक मौत के बावजूद मास्टर की चेतना बनी रहती है। यद्यपि उन्हें चिकित्सकीय रूप से मृत घोषित कर दिया जाता है, लेकिन उनका शरीर बिना संरक्षण के दिनों या हफ्तों तक ताज़ा बना रहता है। थुकदाम (Thukdam) एक तिब्बती शब्द है, थुक जिसका अर्थ है मन और दाम का अर्थ होता है समाधि या ध्यान की स्थिति। हालांकि, इस तरह की घटनाओं की वैज्ञानिक पडताल आज भी चल रही है, फिर भी इस अनोखी बौद्ध घटना को हटकर देखा जाता है। ध्यान के न्यूरोफिज़ियोलॉजिकल तंत्र को समझने के लिए उत्सुक, तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा (Dalai Lama) ने एक दशक पहले रूसी और पश्चिमी वैज्ञानिकों के सहयोग से थुकदाम पर शोध किया था, उसके बाद से वैज्ञानिक शोधों की श्रृंखला का काम चल रहा है।
दुर्लभ ध्यानात्मक स्थिति
यह एक दुर्लभ ध्यानात्मक स्थिति है। कुछ उस अवस्था में कई दिनों तक सीधे बैठे रहते हैं। कुछ ध्यान मुद्रा (Meditation Posture) में सीधे बैठे दिखते हैं। आसन के अलावा, उनके पास चेतना की स्थिति में होने के अन्य संकेत होते हैं। एक निश्चित रंग और चमक बरकरार रखते हैं, उनकी नाक अंदर की ओर नहीं डूबती है, त्वचा नरम और लचीली रहती है, शरीर कठोर नहीं होता है, आंखें नम और चमक बिखेरती हैं। ऐसी स्थिति में इस बात का बहुत ध्यान रखा जाता है कि ऐसे व्यक्तित्व के शरीर को स्पर्श ना किया जाएए और जब तक वह ध्यान की अवस्था से अलग ना दिखने लगे तब तक मौन बनाए रखा जाता है। कई तिब्बती आध्यात्मिक गुरुओं (Many Tibetan spiritual masters) का निधन होने के बाद इस ध्यानपूर्ण स्थिति को प्रदर्शित किया जाता है। इस अवधि के दौरान, अनुयायी, गुरु के अंतिम दर्शन करने और आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।