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हिमाचल: यहां दुल्हन बारात लेकर पहुंची दूल्हे के घर, 100 से अधिक बाराती हुए शामिल
पांवटा साहिब। वैसे तो शादी में दूल्हा (Groom) सेहरा बांधकर बारात लेकर जाता है और दुल्हन (Bribe) को अपने साथ घर लाता है। ठीक इसके विपरीत हिमाचल प्रदेश में गिरिपार क्षेत्र में एक दुल्हन बारातियों (Baraties) के साथ दूल्हे के घर बारात लेकर पहुंची। इस अनोखी शादी में 100 से अधिक बाराती भी शामिल हुए। दूल्हे के घर ही विवाह की सारी रस्में निभाई गई। दरअसल हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के तहत गिरिपार क्षेत्र में कुछ ऐसे रीति.रिवाज व परंपराएं हैंए जिसे आज भी लोग निभा रहे हैं। गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय की भी ऐसे ही कई अनोखी परंपराएं व रीति-रिवाज हैं। इन्हीं में एक गिरिपार क्षेत्र में हाटी समुदाय में वैवाहिक परंपरा जाजड़ा यानी विवाह प्रथा भी शामिल हैं। हालांकि जाजड़ा प्रथा (jajda custom) आधुनिक समय में कम होती जा रही है, लेकिन अभी भी कुछ क्षेत्रों में यह प्रथा कायम रखी गई है।
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इस प्रथा के मुताबिक दुल्हन दूल्हे के घर (Groom House) बारात लेकर जाती है, और विवाह समारोह दूल्हे पक्ष के घर पर ही आयोजित होता है। विवाह की सारी रस्में दूल्हे के घर ही निभाई जाती है। इसी परंपरा के तहत हाल ही में सिरमौर जिला के शिलाई उपमंडल के तहत कुसेनू गांव में भी जाजड़ा प्रथा के तहत वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न हुआ। यहां पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की तहसील चकराता के गांव जगथान से ताल्लुक रखने वाली दुल्हन बारातियों के साथ शिलाई के गांव कुसेनु पहुंची। दुल्हन पक्ष की तरफ से 100 से अधिक बाराती भी विवाह समारोह में शामिल हुए।
उत्तराखंड की सुमन जोशी कुसेनु गांव में राजेंद्र पांडेय के घर बारात लेकर आई थी। विवाह की सारी रस्में दूल्हे के घर ही निभाई गई। दूल्हे के पिता कुंभराम ने बताया कि जाजड़ा परंपरा में ना तो दूल्हा बारात लेकर जाता है और ना दुल्हन के घर में फेरे होते हैं। जाजड़ा प्रथा के तहत अहम बात यह भी रही कि यहां नशे पर पूरी तरह पाबंदी रही। शादी में कोई शराब (Liquor) नहीं परोसी गई। बड़ी बात यह भी रही कि दूल्हे पक्ष की तरफ से दुल्हन पक्ष से दहेज (Dowry) भी नहीं लिया गया। कुल मिलाकर गिरिपार क्षेत्र में यह अनोखी शादी पूरी रस्मोरिवाज के साथ संपन्न हुई।