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भारत का अनोखा मंदिर ! जहां होती है कुत्तों की पूजा
आज तक आपने देवी-देवताओं की पूजा होते हुए देखी होगी, लेकिन क्या आपने कभी कुत्तों की पूजा (Worship of Dog) के बारे में सुना है! अगर नहीं तो आज हम आपको कुत्तों के प्राचीन मंदिर (Ancient Temple) के बारे में बताएंगे। यह मंदिर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में दुर्ग जिले के खपरी गांव में है और कुकुरदेव (Kukurdev Temple) नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं लेकिन यहां विशेष रूप से कुत्तों को ही पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन कर कुत्तों के काटने जैसी समस्याएं और कुकुर खांसी से छुटकारा मिलता है। मंदिर के पास ही मालीघोरी गांव है जिसका नामकरण मालीघोरी बंजारा के नाम पर हुआ है, जिसके कुत्ते के नाम पर ये मंदिर बना है।
मंदिर का निर्माण 14 वीं-15 वीं शताब्दी में हुआ
जानकारी के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण (Construction of Temple) फणी नागवंशी शासकों द्वारा 14वीं-15 वीं शताब्दी में कराया गया था। मंदिर के अंदर कुत्ते की मूर्ति (Dog Statue) स्थापित है और उसके बगल में एक शिवलिंग भी है। लोग यहां आकर शिव जी की पूजा के साथ कुकुरदेव की पूजा नंदी की तरह करते हैं। बात करें मंदिर की बनावट की तो पूरे मंदिर के गुंबद पर नागों के चित्र बने हुए हैं। यहां प्राचीन शिलालेख भी मौजूद है। यहां पर राम लक्ष्मण और शत्रुघ्न की एक प्रतिमा भी रखी गई है। इसके अलावा एक ही पत्थर से बनी दो फीट ऊंची गणेश प्रतिमा भी स्थापित है।
कुकुरदेव मंदिर – इस मंदिर में होती है कुत्ते की पूजा
छत्तीसगढ़ के खपरी गांव में “कुकुरदेव” नाम का एक प्राचीन मंदिर स्तिथ है। #Chhattisgarh #Durg #Temple #Religious #Worship #KukurdevTemple #Balod pic.twitter.com/Vynya7lmh5— Online Orb (@onlineorb) July 20, 2018
कुकुरदेव मंदिर का इतिहास (History of Kukurdev Temple)
कुकुरदेव मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और इलाके में फैली कहानियों के मुताबिक, किसी समय यहां बंजारों की बस्ती हुआ करती थी। जिसमें एक बंजारा अपने पालतू कुत्ते के साथ रहता था। एक बार अकाल पड़ने के कारण उसको अपने कुत्ते को साहूकार के पास गिरवी रखना पड़ा। एक बार साहूकार के घर चोरी हुई और कुत्ता चोरों को समीप के तालाब में समान छुपते देख लेता है। अगले दिन कुत्ते के कारण साहूकार को चोरी का सामान मिल जाता है। इस से प्रसन्न होकर साहुकार सारी बात एक कागज में लिखकर कुत्ते के गले में बांध कर असली मालिक के पास जाने के लिए मुक्त कर देता है।
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लेकिन अपने कुत्ते को लौटकर आया देखकर बंजारा कुत्ते को डंडे से पीट-पीटकर मार डालता है। जब मालिक ने कुत्ते के गले में बंधे पत्र को पढ़ा तो उसे अपनी गलती का अहसास होता है। माना जाता है कि उसी बंजारे ने अपने प्रिय स्वामी भक्त कुत्ते की याद में मंदिर प्रांगण में ही उसकी समाधि बनवा दी थी। बाद में किसी ने कुत्ते की मूर्ति भी स्थापित कर दी। यही स्थान कुकुरदेव मंदिर के नाम से मशहूर है।