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अब हर समय साथ नहीं रखने होंगे गाड़ी के Paper, पहली अक्तूबर से लागू होने वाला है नया नियम
Last Updated on September 30, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। पहली अक्तूबर से ड्राइविंग रूल्स में काफी बदलाव आने वाले हैं। नए नियम के तहत वाहन चलाते हुए आपको ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जैसे कागजातों को रखने की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस बारे में एक एक्ट बनाकर नोटिफिकेशन (Notification) जारी कर दिया है जो पहली अक्तूबर से लागू हो जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि ड्राइविंग लाइसेंस और ई-चालान समेत वाहन दस्तावेज का रखरखाव एक अक्तूबर से सूचना प्रौद्योगिकी पोर्टल के जरिए किया जा सकेगा।
मंत्रालय ने राज्य परिवहन विभागों और ट्रैफिक पुलिस (Traffic police) को वाहन चालक से दस्तावेजों नहीं मांगने के लिए कहा है। इसकी जगह पर एक सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है जिसके जरिए ट्रैफिक पुलिसकर्मी या संभागीय परिवहन अधिकारी को गाड़ी का नंबर अपनी मशीन में डालकर खुद ही सारे कागजातों की जांच करनी होगी। सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक इसके लिए एक नया सॉफ्टवेयर तैयार हो रहा है। यह सॉफ्टवेयर निर्धारित तारीख से परिवहन सॉफ्टवेयर से जोड़ दिया जाएगा। इसमें गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर डालने पर उस वाहन के सारे कागज की जांच हो सकेगी।
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एक्ट के अनुसार किसी पुलिसकर्मी के पास जांच उपकरण नहीं है, तो वह स्मार्टफोन पर सॉफ्टवेयर (Software) डाउनलोड कर वाहन के कागज की जांच कर सकेंगे। जांच स्वयं करना संबंधित जांच की जिम्मेदारी होगी। वाहन मालिक से गाड़ी के कागजात नहीं रखने पर सवाल नहीं उठाए जा सकेंगे। यदि गाड़ी का चालान हो जाता है और वाहन मालिक चालान का भुगतान नहीं करता है तो परिवहन संबंधी टैक्स जमा करना होगा। टैक्स नहीं भरने की स्थिति में वाहन मालिक न तो गाड़ी बेच सकेंगे और न ही अपने ड्राइविंग लाइसेंस को रिन्यू (नवीनीकरण) करा सकेंगे। अभी तक चालान होने के बाद चालान जमा किए बिना परिवहन कार्यालय संबंधी कोई भी काम नहीं होता है। इससे बाहरी वाहनों को परेशानी होती है।
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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में विभिन्न संशोधन किए थे। इन संशोधन के जरिए पोर्टल के जरिए ई-चालान और वाहनों के दस्तावेज का रखरखाव को अमल लाया जा रहा है। यह बदलाव मोटर वाहन नियमों के बेहतर क्रियान्वयन और निगरानी के लिए किया गया है। आईटी सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के इस्तेमाल से देश में ट्रैफिक नियमों को बेहतर ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी साथ ही ड्राइवरों के उत्पीड़न को कम भी किया जा सकेगा।