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हिमाचल और उत्तराखंड को मिलेगा 900 करोड़ का ब्याज मुक्त #Loan; लौटाने के लिए 50 साल का वक्त
नई दिल्ली/शिमला। कोरोना काल के दौरान मंद पड़ी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के उद्देश्य से केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कई बड़े ऐलान किए। इस दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्यों को 50 साल के लिए स्पेशल इंटरेस्ट फ्री लोन (Special interest free loan) दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्यों को ये 12,000 करोड़ रुपए का ब्याजमुक्त लोन कैपिटल एक्सपेंडिचर ( पूंजीगत व्यय) के लिए दिया गया है। यह रकम राज्यों की लोन लेने की सीमा से अलग दिया गया है। सबसे खास बात यह है कि राज्यों को ये ब्याज मुक्त लोन लौटाने के लिए 50 साल का वक्त मिलेगा।
मार्च 2021 तक खर्च करनी होगी कर्ज ली गई आधी रकम
सरकार के मुताबिक इस फंड का पहला हिस्सा 2500 करोड़ रुपए का होगा, इसमें से 1600 करोड़ रुपए नॉर्थ ईस्ट राज्यों को दिया जाएगा। जबकि बाकी 900 करोड़ रुपए उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश (Uttarakhand and Himachal Pradesh) को दिए जाएंगे। 1600 करोड़ नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्यों को मिलेगा। इस रकम का बंटवारा राज्यों के बीच फाइनेंस कमीशन में राज्यों की हिस्सेदारी के आधार पर तय किया जाएगा। केंद्र सरकार 50 साल के लिए 12,000 करोड़ रुपए का जो लोन दे रही है, उसमें पहला और दूसरा हिस्सा ब्याज मुक्त होगा। लेकिन इस रकम को 31 मार्च 2021 तक खर्च करना होगा। इसका 50 फीसदी हिस्सा पहले दिया जाएगा। उसके इस्तेमाल होने के बाद बाकी का 50 फीसदी दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश पर लगातार बढ़ रहा है कर्ज का बोझ
हिमाचल प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ 9.6 फीसद की दर से बढ़ रहा है। बीते माह आयोजित विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान पेश की गई 2018-19 की कैग की रिपोर्ट में प्रदेश पर बढ़ते कर्जों के बोझ पर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014-15 में प्रदेश सरकार के लोक ऋण 25729 करोड़ थे। लोक ऋण की यह राशि साल 2018-19 में बढ़ कर 36425 करोड़ हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋणों की औसत बढ़ोतरी 9.60 फीसद है। रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 के 59 फीसद के मुकाबले 2018-19 में यह बढ़ कर 65 प्रतिशत हो गया। 2018-19 में लोक ऋणों की राशि में 5 फीसद इजाफे की बात रिपोर्ट में कही गई है। एक ओर सरकार की ऋण लेने की रफ्तार तेजी से बढ रही है, दूसरी ओर दस सालों में बाजार ऋणों व उदय बांड के बकाया 26573 करोड़ की राशि में से 25005 करोड़ का भुगतान सरकार को करना है। साथ ही 12521 करोड़ के ब्याज की अदायगी भी सरकार को करनी है।
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नियंत्रक महालेखा परीक्षक अर्थात कैग ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में कम होते राजकोषीय घाटे का उल्लेख किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 के 3870 करोड़ के मुकाबले प्रदेश सरकार का राजकोषीय घाटा साल 2018-19 में घट कर 3512 करोड़ हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-19 में प्रदेश की राजस्व प्राप्तियां इससे पहले के साल के 27367 करोड़ के मुकाबले 30950 करोड़ हुई। इसमें 13 फीसद का इजाफा हुआ। मगर यह प्रदेश की कुल राजस्व प्राप्तियों का महज 33 फीसद ही है। बाकी की 67 फीसद राशि के लिए सरकार केंद्र पर निर्भर है।