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CAG रिपोर्ट में खुलासा, जयराम सरकार नहीं वसूल पाई 437.17 करोड़ रुपए का टैक्स
शिमला। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की सभी सरकारें हर साल धड़ाधड़ कर्ज लेती हैं, लेकिन उनके सरकारी बाबू सरकार के धन की ठीक से वसूली नहीं कर पाते हैं। कैग की रिपोर्ट (CAG Report) ने इस बात को एक बार फिर सबके सामने लाकर रख दिया है। हजारों करोड़ के कर्ज में डूबी जयराम सरकार (Jai ram Thakur) ने 437.17 करोड़ रूपए वसूले ही नहीं। इस बात का खुलासा विधानसभा (Assembly) के मानसून सत्र (Monsoon) के आखिरी दिन हुआ। शुक्रवार को सदन के पटल पर कैग की रिपोर्ट रखी गई।
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सीएम जयराम ठाकुर की ओर से पेश वित्तीय वर्ष 2018-19 की कैग रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अमले ने बिक्री कर, मूल्य वर्द्धित कर, राज्य आबकारी, मोटर वाहन, यात्री एवं माल कर, वन प्राप्तियों, स्टांप शुल्क, टोकन कर, विशेष कर, रॉयल्टी की अल्प वसूली के 1168 मामलों में 437.17 करोड़ रुपए कम वसूले।
कई जगह रियायतों में दी गई अनुचित अनुमति
कैग रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार बिक्री कर और मूल्य वर्द्धित कर मामले में विनिर्मित वस्तुओं की प्रकृति का उचित वर्गीकरण करने में फेल साबित हुई। कर की रियायती दर की अनुचित अनुमति दी गई, जिससे 2.42 करोड़ रुपए के कर का अवनिर्धारण हुआ। 1.67 करोड़ रुपए के ब्याज की भी वसूली नहीं हुई। अधिकारियों ने 19 मामलों में अनुचित तरीके से कर की दर की अनुमति दी। इससे 3.87 करोड़ रुपये के कर का अल्प उद्ग्रहण किया गया। इसके अलावा 4.03 करोड़ रुपये के ब्याज को उद्गृहीत किया गया। अमान्य फार्म स्वीकृत किए जाने और अंतरराज्यीय बिक्री पर कर की रियायती दर की अनुमति देने से 1.43 करोड़ रुपए के टैक्स की अल्प वसूली हुई। वहीं, 1.79 करोड़ रुपए का ब्याज भी नहीं लिया गया।
राज्य आबकारी निर्धारण की लापरवाही आई सामने
इधर, राज्य आबकारी निर्धारण पदाधिकारियों ने लापरवाही की। उन्होंने 23 लाइसेंसधारियों से 82.32 करोड़ रुपये के कम जमा या लाइसेंस फीस की वसूली और लाइसेंस की दोबारा बिक्री के लिए न तो बिक्री केंद्र सील किए। और ना ही परमिट रद्द किए या निलंबित करने की कोई कार्रवाई की। वहीं, 1130 बिक्री केंद्रों के लाइसेंसधारियों ने 62 लाख 87 हजार 807 प्रूफ लीटर कम शराब उठाई। जिसके चलते 20.28 करोड़ रूपए की अतिरिक्त फीस सरकार वसूल ही नहीं सकी। वहीं, कम उठाने के चलते भी 2.48 करोड़ रुपए की कर वसूली नहीं की जा सकी। वहीं, लाइसेंस फीस और बाटलिंग शुल्क के देरी से भुगतान पर 3.75 करोड़ रुपए की राशि के ब्याज की 134 बिक्री केंद्रों के लाइसेंसधारियों से विभाग ने मांग नहीं की। जिससे 3.75 करोड़ रुपए का ब्याज नहीं वसूला जा सका।
स्टांप शुल्क की भी की कम वसूली
713 बिक्री मामलों में संपत्ति के बाजार मूल्य पर विचार नहीं किया गया। वहीं, भूमि की सर्किल दरों को भी नहीं जांचा। इससे राज्य को 10.56 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं, विभाग ने संपत्ति के बाजार मूल्य का गलत निर्धारण किया। जिस कारण 1.53 करोड़ रुपये के पट्टे किराया और स्टांप शुल्क, पंजीयन फीस की अल्प वसूली की गई।
टोकन टैक्स भी नहीं वसूल पाई राज्य सरकार
साल 2015-18 के लिए 21,107 वाहनों के बारे में 7.72 करोड़ रुपए के टोकन कर की विभाग ने वसूली नहीं की। व्यावसायिक वाहन मालिकों ने वाहन पंजीकृत नहीं किए, जिस कारण यात्री और माल कर की 2.38 करोड़ रुपए की वसूली नहीं हुई। वहीं, साल 2016-17 से 2017-18 की अवधि में 1.97 करोड़ रुपये की राशि का यात्री और माल कर तो 2,472 व्यावसायिक मालिकों से विभाग ने वसूल नहीं किया।
वन प्राप्तियां भी नहीं की जा सकीं
31.70 करोड़ रुपए की वन प्राप्तियों की वसूली नहीं की जा सकी। लकड़ी के दोहन व रेजिन ब्लेडों पर रॉयल्टी का दावा न करने, रॉयल्टी दरों में कमी लाने के चलते, रॉयल्टी के देरी से भुगतान पर ब्याज संग्रहण में विफल होने, चीड़ के वृक्षों की विश्वसनीय स्थायी सूची का रख रखाव नहीं करने और दोहन के पर्यवेक्षण में कमी और विस्तार फीस की वसूली नहीं की गई।
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