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हिमाचल विधानसभा: पंचायत प्रतिनिधियों का नहीं बढ़ेगा मानदेय, ऊना के अंब में लगेगी शूगर मिल
धर्मशाला। हिमाचल में पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय नहीं बढ़ेगा। यह बात विधानसभा में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर (Minister Virender Kanwar) ने विधायक रमेश ध्वाला के एक सवाल के जवाब कही। मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सरकार प्रधानों, उपप्रधानों और वार्ड सदस्यों के मानदेय को बढाने पर सरकार अभी कोई विचार नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानों को 4500, उपप्रधानों को 3000 और वार्ड सदस्यों को 250 रुपए प्रति बैठक भत्ता दिया जाता है।
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वहीं ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के अंब में शूगर मिल (Sugar Mill) स्थापित की जाएगी। प्रदेश सरकार ने मिल की स्थापना को मंजूरी दे दी है। इसे लेकर तमाम औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। प्रस्तावित शूगर मिल में हर साल 42 हजार टन चीनी (Sugar) का उत्पादन होगा। वे आज विधानसभा में उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह की अनुपस्थिति में बीजेपी सदस्य रीता कुमारी के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे।
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वीरेंद्र कंवर ने कहा कि इंदौरा के 25 गांवों में गन्ने की पैदावार होती है और करीब 525 हैक्टेयर भूमि पर 3.93 लाख क्विंटल गन्ने का उत्पादन यहां पर होता है। उन्होंने कहा कि यह शूगर मिल चलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। लिहाजा फिलहाल सरकार का इंदौरा में शूगर मिल लगाने का विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि इंदौरा के किसान मुकेरियां शूगर मिल में गन्ना बेचते हैं। इन्हें वहां पर 25 रुपए प्रति क्विंटल कम कीमत मिल रही है। सरकार इस मुद्दे के समाधान के लिए कमेटी का गठन करेगी। कमेटी पंजाब में किसी भी नजदीकी चीनी मिल में गन्ने की बेहतर कीमत मिलने की संभावनाएं तलाशेगी। उन्होंने कहा कि ऊना में इथनॉल उद्योग की स्थापना को भी मंजूरी मिली है। यहां भी गन्ने की खपत होगी।
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इससे पहले, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से विधायक रीता धीमान ने इंदौरा में शूगर मिल स्थापित करने का मामला सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि 2002 में हिमाचल और पंजाब के मध्य हुए समझौते के तहत इंदौरा के किसान मुकेरियां शूगर मिल में गन्ना बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को वहां दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ जहां मिल मालिक पंजाब के किसानों से 360 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना खरीद रहे हैं, वहीं, हिमाचल के किसानों को प्रति क्विंटल 325 रुपए ही मिल रहा है और प्रदेश के किसानों को गन्ने का भुगतान भी दो साल बाद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों की दिक्कतों के मद्देनजर इंदौरा में शूगर मिल की स्थापना करने व किसानों को प्रति क्विंटल 35 रुपए की दर से होने वाले घाटे की भरपाई के लिए विचार करना चाहिए।
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खड़ा पत्थर में नहीं खुलेगा सीए स्टोर
बगवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने विधायक रोहित ठाकुर द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि मौजूदा समय में खड़ा पत्थर में सीए स्टोर नहीं खोलेगी। उन्होंने कहा कि एचपीएमसी की वित्तीय स्थिति संतोषजनक न होने के कारण यहां पर सीए स्टोर नहीं खोला जा सकता। महेंद्र सिंह ने कहा कि एपीडा और एचपीएमसी के बीच तीन प्रोजेक्टों को लेकर हुए एमओयू 20 सितंबर 2016 को हस्ताक्षरित हुए थे। लेकिन यह तीनों एमओयू 10 नवंबर 2016 को रद्द कर दिए गए थे। उन्होंने कहा कि खड़ापत्थर में 974.05 लाख रुपए की लागत से सीए स्टोर खोला जाना था। मंत्री ने बताया कि एचपीएमसी द्वारा चुराह में 466.16 लाख रुपए की लागत से स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि इस सीए स्टोर को स्थापित करने के लिए नाबार्ड द्वारा 418.02 लाख रुपए मंजूर किए जा चुके हैं।
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37 फार्मा कंपनियों की दवाईयों के सैंपल हुए फेल
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने विधायक जगत सिंह नेगी के एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि हिमाचल में पिछले तीन साल के दौरान 37 फार्मा कंपनियों की दवाईयों के सैंपल फेल हुए हैं। सरकार नियमों के तहत इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मौजूदा समय में 624 फार्मा कंपनियां स्थापित हैं और 40 ड्रग इंस्पेक्टर कार्यरत हैं।
किसानों को रासायनिक खाद के लिए करना होगा इंतजार
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने विधायक रमेश ध्वाला के एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि प्रदेश में किसानों को रासायनिक खाद के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। अंतराष्ट्रीय बाजार में रासानिक खाद के कच्चे माल की दरों में बढ़ोतरी के चलते पूरे देश में रासायनिक खाद की कमी चल रही है। इसकी वजह से खाद कंपनियां पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एनपीके के अतिरिक्त सभी खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और किसानों को उनकी मांग के अनुसार खाद उपलब्ध करवाई जा रही है।
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