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आरबीआई सरकार को रिपोर्ट सौंपकर बताएगा क्यों कंट्रोल नहीं हो रही महंगाई
Last Updated on October 31, 2022 by sintu kumar
महंगाई बेलगाम है। हालांकि सरकार की ओर से आरबीआई (RBI) को जिम्मेदारी सौंपी थी कि महंगाई 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत के दायरे में ही बनी रहे। मगर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लगातार नौ महीनों से महंगाई (Inflation) को दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के दायरे में कंट्रोल करके नहीं रख पा रहा है। अतः अब आरबीआई ने तीन नवंबर को एडिशनल मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में आरबीआई सरकार को महंगाई कंट्रोल ना रख पाने के कारणों की रिपोर्ट सौंपेगा। इससे ठीक छह साल पहले मुद्रास्फीति लक्षित मौद्रिक नीति व्यवस्था (monetary policy regime) अपनाने के बाद यह मीटिंग पहली बार होने जा रही है। यह मीटिंग आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45 जैडएन के प्रावधानों के तहत होगी। इस संबंध में सेंट्रल बैंक ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के रेगुलेशन सात और मॉनेटरी पॉलिसी प्रोसेस रेगुलेशन 2016 (Monetary Policy Process Regulation 2016) का जिक्र किया। सरकार ने इसी एमपीसी स्ट्रक्चर के तहत आरबीआई को यह जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसमें यह कहा गया था कि महंगाई दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के दायरे में ही बनी रहे। इस साल जनवरी से ही महंगाई की दर लगातार छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।
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सरकार के पास रिपोर्ट को भेजने के लिए 12 नवंबर तक का है समय
यदि आरबीआई इंफ्लेशन टारगेट (Inflation target) को पूरा करने में सफल नहीं रहता है तो इस विफलता के कारणों की व्याख्या करती हुई एक रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होती है। इसमें यह बताया जाएगा कि इंफ्लेशन टारगेट में विफल होने के क्या कारण रहे। इसके बाद अगला कदम क्या उठाया जाना है। इन उठाए गए कदमों से महंगाई को कंट्रोल करने में अभी और कितना समय लगेगा। वहीं आरबीआई एमपीसी के रेगुलेशन सात और मॉनेटरी पॉलिसी प्रोसेस रेगुलेशन 2016 में यह दर्शाया गया है कि जो रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी उसमें नॉर्मल पॉलिसी प्रोसेस (Normal policy process) के हिस्से के रूप में एक अलग बैठक शेड्यूल करने की जरूरत है। अब आरबीआई को यह रिपोर्ट कब तक भेजनी है, उसका जवाब यह है कि नियम के अनुसार जिस तारीख को आरबीआई को महंगाई नियंत्रित करने में विफल रहा है, उसी तारीख से एक महीने के भीतर ही सरकार को यह रिपोर्ट भेजी जानी अनिवार्य है। इसके तहत मौजूदा मामले में सितंबर महीने के महंगाई के आंकड़े 12 अक्टूबर को जारी किए गए थे। अतः आरबीआई के पास सरकार को रिपोर्ट भेजने के लिए 12 नवंबर तक का समय है। वहीं अगर एमपीसी मीटिंग की बात करें तो वर्तमान वित्तीय वर्ष में छह बार एमपीसी की मीटिंग होती है। इसका मतलब यह है कि हर दो माह में एमपीसी की मीटिंग शेड्यूल (meeting schedule) होती है। वहीं महंगाई कम करने के लिए बाजार में पैसों के बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है। इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एमपीसी रेपो रेट बढ़ाता है। बढ़ती महंगाई से चिंतित आरबीआई ने सितंबर में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 5.40 प्रतिशत से बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो गया है।