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Big Breaking:ओपीएस पर बड़ा अपडेट-पुरानी पेंशन की ये रही पूरी सच्चाई
हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर घमासान मचा है। चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपनी दस गारंटियों में ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का वादा किया था। अब जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन चुकी है तो ऐसे में कर्मचारियों को आस है कि ओपीएस को जरूर लागू किया जाएगा। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी पहली कैबिनेट में इस लागू करने की बात कह चुके हैं। अब सवाल यह है कि यह केवल गैर बीजेपी शासित राज्यों में ही लागू होगी या अगर होगी तो क्या ऐसा करना संभव है। इस सभी सवालों पर पीएम की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल सदस्य संजीव सान्याल OPS (EAC-PM member Sanjeev Sanyal on OPS)पर ने अब इस पर चिंता जताई है। उन्होंने इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा खतरा बताया है। उनका कहना है -अनफंडेड पेंशन योजनाएं अंततः भविष्य की पीढ़ियों को नुकसान पहुंचाती हैं।इसलिए, पिछले कुछ दशकों में बड़ी मुश्किल से किए गए पेंशन सुधारों को उलटने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। मौजूदा समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) और अंतरराष्ट्रीय स्थिति को देखते हुए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि 2023 में भी स्थिति ठीक नहीं होगी।
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संजीव सान्याल ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए अर्थव्यवस्था से छेड़छाड़ बेहद खतरनाक हो सकती है।हालांकि, उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को ज्यादा खतरा नहीं बताया। सान्याल के अनुसार, भारत कई वर्षों तक 9 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल कर सकता है। ओपीएस के तहत, पूरी पेंशन राशि सरकार द्वारा दी जाती थी। जबकि, नई पेंशन योजना के तहत, कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन के लिए योगदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत योगदान देता है। बड़ी मुश्किल से किए गए पेंशन सुधारों को वापस लेते समय बहुत सारी सावधानियां बरतनी चाहिए।
बता दें कि कांग्रेस शासित राज्यों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ पहले ही पुरानी पेंशन योजना लागू कर चुके हैं। अब हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)की कांग्रेस सरकार भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने जा रही है। झारखंड ने भी ओपीएस को वापस लेने का फैसला किया है, जबकि आम आदमी पार्टी शासित पंजाब ने हाल ही में ओपीएस को फिर से शुरू करने की मंजूरी दी है। बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने दिसंबर 2003 में पुरानी पेंशन योजना(Old Pension Scheme) को बंद करने का फैसला किया था। इस योजना को 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया गया था। हालांकि, अब कई संगठन और विपक्षी दल पुरानी पेंशन योजना को लागू करने पर जोर दे रहे हैं। केंद्र के रुख से पता चलता है कि फिलहाल सरकार इसे लागू नहीं करना चाहती है। साल 2024 में आम चुनाव के दौरान ओपीएस लागू करने का मुद्दा बड़ा बन सकता है।