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जयराम ठाकुर को फिर याद आई मंडी की हार, कहा- नेता के लिए चुनाव सबसे बड़ी परीक्षा
मंडी। मिशन रिपीट का नारा देने वाले जयराम के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार (BJP Govt) को 2022 के विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। प्रदेश में अब सत्तासीन कांग्रेस पार्टी की सरकार को बने 2 महीने का समय बीतने वाला है, लेकिन पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर (Jai Ram Thakur) हार का गम अभी तक भी नहीं भुला पाए हैं। सत्ता से बाहर होने के बाद बीते दिनों जहां नेता प्रतिपक्ष की आंखों से एक कार्यक्रम के दौरान आंसू छलक गए थे। वहीं अब मंडी में एक कार्यक्रम के दौरान जयराम ठाकुर को एक बार फिर चुनावों में मिली हार याद आ गई।
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दरअसल पूर्व सीएम जयराम ठाकुर शुक्रवार को मंडी में परीक्षा पे चर्चा 2023 कार्यक्रम (Pariksha pe Charcha 2023) में पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में संबोधन के दौरान जयराम ठाकुर को 2022 के चुनावों की याद आ गई। अपने संबोधन में जयराम ठाकुर ने कहा कि नेता भी परीक्षा के कई दौर से गुजरते हैं। नेताओं (leaders) के लिए सबसे बड़ी परीक्षा चुनाव ही होता है और चुनाव में जब परिणाम उसके अनुरूप नहीं होता है तो बहुत निराशा होती है। जिसके वे हाल ही में स्वयं भुक्तभोगी रहे हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का परीक्षा पर चर्चा का मार्गदर्शन बच्चों के लिए ही नहीं ऐसे नेताओं के लिए भी उपयोगी है जिन्हें इससे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि आशा के अनुरूप परिणाम ना मिलने पर व्यक्ति को तनाव मुक्त रहकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
देश के भविष्य के लिए छात्र और शिक्षक दो पहलू बेहद जरूरी . मनसुख
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने शुक्रवार को केंद्रीय विद्यालय मंडी में आयोजित परीक्षा पे चर्चा 2023 कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद मनसुख मांडविया ने कहा कि देश के निर्माण व भविष्य के लिए छात्र (Students) और शिक्षक (Teacher) दो पहलू बहुत ही जरूरी है। छात्र देश का भावी निर्माता होते हैं और शिक्षक छात्र का निर्माण करता है। मनसुख मांडविया ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा विषय को एक माध्यम बनाया है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में मेंटल हेल्थ पूरे देश में एक मुद्दा बन चुका है। पहले के दौर में ऐसा कुछ भी नहीं था क्योंकि छात्र और शिक्षक के बीच में परस्पर संवाद होता रहता था। जिसके फलस्वरूप स्वतः ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता था। उन्होंने कहा कि फॉर्मल इंफॉर्मेशन के साथ बच्चे के लिए इनफॉर्मल इंफॉर्मेशन भी बेहद जरूरी हो गया है। उन्होंने बच्चों से तनाव रहित परीक्षा की तैयारी करने और परीक्षा देने का आग्रह भी किया।