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इंदिरा एकादशी व्रत आज, जानें पूजा विधि और महत्व
इंदिरा एकादशी व्रत (Indira Ekadashi Vrat) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान आता है इसलिए पितरों को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इंदिरा एकादशी व्रत कर भक्त को श्री हरि के साथ-साथ उसके पितरों का भी आर्शीवाद मिलता है। घर में सुख-समृद्धि का वास होता है, दुख-दर्द खत्म होते है। इस बार इंदिरा एकादशी व्रत 10 अक्टूबर यानी आज रखा जाएगा। वहीं व्रत का पारण 11 अक्टूबर को सुबह 6.19 बजे से 8.39 बजे के बीच होगा। व्रत के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) जी के शालिग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है।
व्रत की पूजा-विधि (Worship Method Of Vrat)
एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई के बाद नहाएं और व्रत का संकल्प लें। घर में पूजा-पाठ करें और नदी में पितरों का विधि-विधान के साथ तर्पण करें। श्राद्ध करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं । एकादशी व्रत के दिन गाय, कौवे और कुत्ते को भी भोजन ज़रूर दें। इसके साथ ही व्रत के दिन श्री हरि की उपासना करें और पूजा के दौरान श्री हरि की आरती उतारें।
इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat Story)
धार्मिक कथाओं के अनुसार, सतयुग के समय में महिष्मति नाम की एक नगरी थी और उस नगरी पर इंद्रसेन नामक राजा का शासन था। राजा श्री हरि का परम भक्त (Devotee) था। इंद्रसेन अपनी प्रजा और परिवार के साथ बेहद खुश था। एक दिन जब राजा अपनी सभा में बैठा था तभी नारद मुनि उनके पास आए। सभा में बैठकर नारद ने राजा को बताया कि उनके पिता ने संदेशा दिया है कि ‘पिछले जन्म में कोई विघ्न हो जाने के कारण मैं यमराज के निकट रह रहा हूँ, तो हे पुत्र यदि तुम आश्विन कृष्णा इंदिरा एकादशी का व्रत मेरे लिए करो तो मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। राजा इंद्रसेन ने बड़े ही विधि-विधान से व्रत को रखा और विष्णु भगवान की अराधना की। राजा ने व्रत के दौरान अपने पितरों के लिए श्राद्ध तर्पण भी किया। इस प्रकार राजा इंद्रसेन के पिता को स्वर्ग लोक की प्राप्ति हुई।