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खेल मंत्रालय का बड़ा फैसला, WFI निलंबित; बृजभूषण के करीबी नए अध्यक्ष के फैसले रद्द
नेशनल डेस्क। पहलवानों के विरोध के बाद भारतीय खेल मंत्रालय (Indian Sports Ministry) ने 24 दिसंबर यानी रविवार को बड़ा फैसला लिया है। मंत्रालय ने हाल ही में संजय सिंह के नेतृत्व में चुने गए कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया है और संजय सिंह द्वारा लिए गए सारे फैसले रद्द कर दिए गए हैं। महिला पहलवानों (Female Wrestlers) ने बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (BrijBhushan Sharan Singh) पर कड़े आरोप लगाए थे जिसके बाद उन्हें कुश्ती संघ के अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। उसके बाद जब चुनाव हुआ तो बृजभूषण के करीबी संजय सिंह ने चुनाव जीता। संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद स्टार रेसलर साक्षी मलिक ने बड़ा फैसला लिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुश्ती छोड़ने का एलान कर दिया था। उनके बाद 22 दिसंबर को रेसलर बजरंग पूनिया ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा और पद्म श्री लौटाने का एलान किया।
मैंने कुश्ती छोड़ दी है पर कल रात से परेशान हूँ वे जूनियर महिला पहलवान क्या करें जो मुझे फ़ोन करके बता रही हैं कि दीदी इस 28 तारीख़ से जूनियर नेशनल होने हैं और वो नयी कुश्ती फेडरेशन ने नन्दनी नगर गोंडा में करवाने का फ़ैसला लिया है।
गोंडा बृजभूषण का इलाक़ा है। अब आप सोचिए कि…— Sakshee Malikkh (@SakshiMalik) December 23, 2023
नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड का उल्लंघन
नए कुश्ती संघ ने हाल ही में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप गोंडा में कराने का ऐलान किया था। खेल मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह फैसला ‘WFI के संविधान के प्रावधानों का पालन किए बिना किया गया था। खेल मंत्रालय ने बयान में कहा, WFI के नवनिर्वाचित कार्यकारी निकाय द्वारा लिए गए फैसले WFI के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड का उल्लंघन हैं। इन फैसलों में नए अध्यक्ष की मनमानी दिखाई देती है, जो सिद्धांतों के खिलाफ है।
मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूँ. कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है. यही मेरी स्टेटमेंट है। 🙏🏽 pic.twitter.com/PYfA9KhUg9
— Bajrang Punia 🇮🇳 (@BajrangPunia) December 22, 2023
बजरंग पूनिया ने फैसले को बताया सही
खेल मंत्रालय के इस फैसले को लेकर बजरंग पूनिया ने कहा- ‘यह सही फैसला लिया गया है। जो हमारी बहन-बेटियों के साथ अत्याचार हो रहा है उसके खिलाफ संबंधित लोगों को पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए। हमारे ऊपर कई इल्जाम लगाए गए। राजनीति की गई जब हम पदक जीतते हैं तो देश के होते हैं। हम खिलाड़ी कभी भी जात-पात नहीं देखते। एक साथ एक थाली में खाते हैं। हम अपने तिरंगे के लिए खून-पसीना बहाते हैं। सैनिकों और खिलाड़ियों से ज्यादा मेहनत कोई नहीं करता। हमें देशद्रोही कहा गया। हम ऐसे नहीं हैं। हमें पुरस्कार जीतने पर मिला। हम उसे वापस ले सकते हैं। हम सम्मान वापस ग्रहण कर सकते हैं।’