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एक साल और बीत गया, नववर्ष आ गया
डॉ राजेश शर्मा । नववर्ष आ चुका हैं। कहने को यह दिन हर साल आता है। यकीन करो ये दिन हर किसी की जिंदगी में महत्वपूर्ण रहता है। क्योंकि बीत रहा साल जिंदगी के लिए एक तर्जुबा हो जाता है। हम जो बात यहां करने जा रहे हैं यही बातें पहले भी करते आए हैं, यहां अंतर यह है कि उसमें एक साल और बीत गया। बीते दिनों से हम जीवन के हर कोने में चमक लाने की कोशिश में जुटे रहे क्या हम इस चमक को आने वाले साल में भी बरकरार रख पाएंगे। यहीं से यह प्रश्न खड़ा होता है कि जब हम घर की चमक को बरकरार रख सकते हैं तो बाहर क्यों नहीं।
अब सवाल ये है कि जो भी काम किया जाए उसमें पूरी इच्छा शामिल हो। फिर जो लक्ष्य इससे हासिल होगा वह अद्भुत होगा। एकदम नया रोडमैप तैयार होगा…. साफ-सुथरा और व्यवस्थित। वैसे साफ-सुथरा और व्यवस्थित यह शब्द ही बहुत प्रबल है और हमारी जिंदगी में बहुत महत्व रखता है। अगर किसी भी काम में खरा उतरना है तो क्यों न शुरुआत यहीं से करें। मन व्यवस्थित होगा तो काम भी अच्छा होगा। अगर काम को नए सिरे से शुरू करना है तो काट.छांट तो करनी ही पडेगी। यही काट-छांट हमें आने वाले साल में भी करनी है। हमें यह चमक तभी मिल सकेगी अगर हम घर के भीतर से लेकर बाहर तक के कचरे को भी उसी मन से साफ करेंगे।
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यह अलग बात है कि हम सबका यह हाल है कि अगर स्वर्ग में भी पहुंच जाएं तो कहेंगे यही कि स्वर्ग तो है मगर…। खुशियों पर यकीन कम आता है संदेह के साए मंडराते रहते हैं जो पाया उस पर जाहिर है जो पा सकते हैं उसकी कुव्वत पर भी। जो पाया उस पर भी यकीन न करना जहां नेमत की बेक्रदी है वहीं खुद की काबिलियत पर शुबाह कमजोरी की निशानी है। संतुलन कहां है। संतुलन यानी हासिल का यकीन और काबिलियत का इत्मीनान। कहने का मतलब यह है कि हमारा मन व्यवस्थित होना चाहिए तभी यह उजाले बने रहेंगे। इसलिए हमेशा इस बात को याद रखना होगा कि अगर मन व्यवस्थित होगा तो आने वाले साल में भी चमक भी बराबर बनी रहेगी।
नववर्ष की शुभकामनाएं