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जन्माष्टमी पर इस मंदिर में भगवान कृष्ण का अनोखा सम्मान, जानें क्या हैं विशेषताएं
Janmashtami Special : जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व पूरे भारत में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) की जयंती के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 26 अगस्त को भगवान कृष्ण का 5251वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जा रहा है। भारत के कई प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी की विशेष धूम रहती है, लेकिन राजस्थान के नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी मंदिर (Shrinathji Temple located at Nathdwara, Rajasthan) में इस दिन का नजारा अद्वितीय होता है।
श्रीकृष्ण के बाल रूप के प्रतीक हैं श्रीनाथजी
श्रीनाथजी भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप के प्रतीक हैं, जो सात वर्ष की अवस्था में प्रकट हुए थे। नाथद्वारा का श्रीनाथजी मंदिर भगवान कृष्ण (Lord Shri Krishna) के अनुयायियों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यहां जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन आधी रात को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यह अद्भुत नजारा देखने के लिए न केवल राजस्थान से बल्कि गुजरात और महाराष्ट्र से भी भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
इन मौकों पर भी हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं
श्रीनाथजी मंदिर में जन्माष्टमी, राधाष्टमी, होली, शरद पूर्णिमा और दिवाली के अवसरों पर हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं। श्रीनाथजी को एक जीवित रूप की तरह पूजा जाता है और उनकी देखभाल उसी तरह की जाती है जैसे एक मां अपने बच्चे की करती है। स्नान, भोजन, वस्त्र धारण करना और आराम देना, इन सभी कार्यों को अत्यंत श्रद्धा से पूरा किया जाता है। जन्माष्टमी के दौरान, नाथद्वारा शहर में चारों ओर उत्सव का माहौल होता है। मुख्य द्वार पर ढोल, शहनाई और तुरही की ध्वनि गूंजती है। मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और एक महीने पहले से ही जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। ‘नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ जैसे भजनों की गूंज से पूरा शहर भक्तिमय हो जाता है।
मंदिर में हर दिन भगवान की आरती और श्रृंगार
श्रीनाथजी मंदिर की सुरक्षा के लिए प्रशासन और पुलिस द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मंदिर में हर दिन भगवान की आरती और श्रृंगार होते हैं, जिसमें स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ भक्ति गीत गाए जाते हैं। यहां की आरती इतनी मधुर होती है कि सुनने से ही मन शांत हो जाता है। अगर आप जन्माष्टमी के दिन इस भव्य उत्सव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो नाथद्वारा पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल या हवाई मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। उदयपुर से नाथद्वारा की दूरी लगभग 48 किलोमीटर है। उदयपुर में महाराणा प्रताप हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जहां से कैब या बस के माध्यम से नाथद्वारा पहुंचा जा सकता है।