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भगवान श्री कृष्ण का ऐसा मंदिर, जहां खिड़की से होते हैं दर्शन, जन्माष्टमी पर जरूर बनाएं प्लान
Janmashtami 2024 : जन्माष्टमी का महापर्व (Janmashtami) नजदीक आ चुका है और पूरे देश में 26 अगस्त को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस पावन पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना (Worship of Lord Krishna) और उनके मंदिरों में दर्शन का विशेष महत्व होता है। देशभर से लोग विशेषकर वृंदावन और द्वारका (Vrindavan and Dwarka) जैसे प्रमुख कृष्ण तीर्थस्थलों की ओर रुख करते हैं। इसी क्रम में, दक्षिण भारत के कर्नाटक में स्थित एक अद्भुत मंदिर है, जिसे उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर (Udupi Shri Krishna Temple) के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की अपनी एक अनूठी पहचान और इतिहास है, जिसके कारण हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।
उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा
उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर (Udupi Shri Krishna Temple) कर्नाटक के उडुपी शहर में स्थित है, जो बेंगलुरु से लगभग 444 किमी और मंगलूरु से करीब 56 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना 13वीं शताब्दी में प्रसिद्ध वैष्णव संत श्री माधवाचार्य ने की थी। यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना माना जाता है और दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन एवं पवित्र मंदिरों में से एक है।
मंदिर से जुडी यह है पौराणिक कथा
इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प पौराणिक कथा है, जिसमें कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के एक परम भक्त को मंदिर में मूर्ति के दर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई थी। भक्त की अपार भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने दीवार में एक छेद किया, जिससे भक्त प्रतिदिन मूर्ति के दर्शन कर सके। बाद में उस स्थान पर एक खिड़की बना दी गई, जिसे आज भी ‘कन्हा की खिड़की’ कहा जाता है। इस खिड़की के माध्यम से ही भक्त श्रीकृष्ण के दर्शन करते हैं।
विशेषताएँ और जन्माष्टमी के दौरान भीड़
उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर को उडुपी श्रीकृष्ण मठ मंदिर (Udupi Shri Krishna Math Temple) के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर केवल कर्नाटक ही नहीं, बल्कि पूरे देश के भक्तों के लिए खास है। यहां की एक और रोचक बात यह है कि मंदिर के अंदर एक दीपक पिछले 700 वर्षों से लगातार जल रहा है। यह दीपक मंदिर के आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहां दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मंदिर के दर्शन सुबह 6 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक और दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक किए जा सकते हैं। इसके अलावा, सुबह और शाम की आरती में भी भक्त शामिल हो सकते हैं।