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हिमाचल: PhD में शिक्षकों के बच्चों को बिना नेट/प्रवेश परीक्षा के दाखिला कितना सही, आप करें फैसला
Last Updated on October 17, 2021 by Vishal Rana
शिमला। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी दाखिले (PhD Admission) में विश्वविद्यालय अध्यापकों के बच्चों को छूट देने के फैसले का विरोध किया है। बता दें कि पीएचडी दाखिले में विश्वविद्यालय के अध्यापकों के बच्चों को बिना नेट/जेआरएफ व प्रवेश परीक्षा के दाखिला देने का निर्णय लिया गया था, जिसका एबीवीपी ने कड़ा विरोध जताया है। अभाविप हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) इकाई अध्यक्ष विशाल सकलानी ने बताया कि विश्वविद्यालय के द्वारा अध्यापकों के बच्चों को पीएचडी (PHD) दाखिलों में अनुचित तवज्जो देना आम छात्रों के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि यह फैसला संविधान के अंतर्गत समानता के अधिकार के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि पीएचडी में दाखिला लेने के लिए छात्र जहां कड़ी मेहनत के बाद भी दाखिला नहीं ले पाते हैं। ऐसे में अध्यापकों के लाडलों को यह सीटें ऐसे ही देने का एबीपीपी विरोध करती है।
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अभाविप जहां आम छात्रों की आवाज को बुलंद करते हुए सभी विभागों में पीएचडी की सीटें बढ़ाने की मांग कर रही है। वहीं, विश्वविद्यालय में कार्यरत अध्यापकों के लाडलों (University Teachers Children) को बिना नेट / जेआरएफ व प्रवेश परीक्षा के दाखिला देने का विरोध करती है। यह निर्णय आम छात्र के साथ धोखा है। इसके साथ ही यह फैसला यूजीसी (UGC) के नियमों की भी सरेआम धज्जियां उड़ा रहा है। एबीपीपी का कहना है कि एक तरफ जहां छात्र हित के विरुद्ध फैसला लेना हो तो विश्वविद्यालय इन्हीं नियमों व कानूनों का हवाला देता है, लेकिन जब बात अपने लाडलों को दाखिले देने की आती है तो इन्हीं नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय प्रशासन व प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस छात्र विरोधी व समानता के अधिकार की धज्जियां उड़ाने वाले फैसले को वापिस लिया जाए, अन्यथा अभाविप उग्र आंदोलन करेगी।
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