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सूरज के सफर पर रवाना हुआ आदित्य एल-1, इसरो ने श्रीहरिकोटा से किया लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल1 लॉन्च किया। सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है। इसरो के सौर मिशन आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं।
Congratulations, ISRO! 🌞🚀
A historic achievement in the pursuit of scientific knowledge! ISRO has triumphantly launched its first-ever space mission to study the Sun, #AdityaL1🛰
This remarkable endeavor promises to unlock the secrets of our nearest star, shedding light on… pic.twitter.com/Ym9GdUB9EV
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) September 2, 2023
आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग के बाद उसके मंजिल तक पहुंचने के बीच तकरीबन चार माह का वक्त लगने की उम्मीद है। आदित्य एल-1 धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करके धरती और सूरज के बीच स्थित L1 पॉइंट पर जाएगा और वहीं से 24 घंटे सूरज पर नजर रखेगा।
क्या है मिशन आदित्य एल 1?
आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूर से अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसे पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल 1 प्वाइंट की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस प्वाइंट की खासियत है कि यहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बेअसर रहते हैं, जिसके चलते वस्तुएं इस जगह पर रह सकती हैं. इसे सूर्य और पृथ्वी के अंतरिक्ष में पार्किंग प्वाइंट भी कहा जाता है।
सफर पूरा करने में लगेंगे 125 दिन
श्रीहरिकोटा से लांचिंग के बाद आदित्य एल-1 को धरती की निम्न कक्षा में पहुंचाया जाएगा. यहां धरती की परिक्रमा करने के बाद वह ऑर्बिट बदलेगा और ये सफर पूरा करने के बाद इसे धरती के गुरुत्वाकर्षण से बाहर L1 में इंजेक्ट किया जाएगा. यहां से ये L1 की हेलो कक्षा में पहुंचकर स्थिर हो जाएगा. इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक इस प्रक्रिया में तकरीबन 125 दिन लगेंगे. इस बीच इसरो के वैज्ञानिक लगातार इस पर नजर रखेंगे।
वैज्ञानिकों के लिए खुलेंगे संभावनाओं के नए द्वार
आदित्य-एल1 अंतरिक्ष में एक स्पेस स्टेशन की तरह काम करेगा। भारत में अब तक वैज्ञानिक सूरज का अध्ययन ऑब्जर्वेटरी में लगी दूरबीनों के जरिए कर रहे हैं। इसकी कई सारी सीमाएं हैं। आदित्य L1 मिशन की सफलता के बाद वैज्ञानिकों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।