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डाॅ बिंदल के बाद BJP किसके हाथ, चर्चा शुरू-Working President बना पहले तो ये-ये हैं प्रमुख दावेदार
Last Updated on May 29, 2020 by saroj patrwal
शिमला। डाॅ राजीव बिंदल (Dr. Rajeev Bindal) बीजेपी अध्यक्ष पद से रूखस्त हो गए, अब उनकी जगह कौन लेगा, इस पर चर्चा तो उसी दिन से शुरू हो गई थी, अब खेमेबाजी हो रही है। ये तय है कि पहले अब कार्यकारी अध्यक्ष (Working President) बनेगा, उसके बाद ही संपूर्ण अध्यक्ष की तैनाती होगी। पार्टी संविधान के अनुसार कोई भी कार्यकारी 90 दिनों तक पद पर बना रह सकता है, पार्टी चाहे तो उसे एक्सटेंशन देती रह सकती है। हिमाचल में इससे पहले भी जब करीब नौ साल पहले प्रदेशाध्यक्ष पद से खीमी राम (Khemi Ram) को हटना पड़ा था, उस वक्त सतपाल सत्ती (Satpal Satti) को पहले कार्यकारी अध्यक्ष ही बनाया गया था। उसके बाद उन्हें पार्टी ने संपूर्ण अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। अबकी मर्तबा भी उसी पैटर्न पर काम होगा।
रणधीर शर्मा, इंदू गोस्वामी या त्रिलोक जंबाल
मसला अब यहां ये है कि अगला चेहरा होगा कौन। रणधीर शर्मा (Randhir Sharma), इंदू गोस्वामी, त्रिलोक जंबाल या कोई और। रणधीर शर्मा उसी जिला बिलासपुर से ताल्लुक रखते हैं, यहां से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आते हैं। रणधीर संगठन में लंबे समय से काम करते आ रहे हैं। डाॅ बिंदल की ताजपोशी से पहले भी उनका नाम चर्चा में आया था। खैर दिल्ली से डाॅ बिंदल की ताजपोशी हो गई, रणधीर रह गए। अब अगर उनका नाम चलता है तो पैरवी कौन-कौन करेगा ये सवाल खड़ा होता है।
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दूसरा नाम सामने आ रहा है इंदू गोस्वामी (Indu Goswami) का, जिन्हें हाल ही में हिमाचल से राज्यसभा के लिए चुना गया है। वह दिल्ली की पसंद हो सकती हैं, चूंकि राज्यसभा के लिए उनका नामांकन भी दिल्ली के ही रास्ते से हुआ है। तीसरा नाम त्रिलोक जंबाल (Trilok Jamwal) का एक बार फिर सामने आ रहा है। जैसा कि डाॅ बिंदल की ताजपोशी से पहले चल रहा था। सीएम जयराम ठाकुर के राजनीतिक सलाहकार व संगठन में महामंत्री का दायित्व संभाल रहे जंबाल निश्चित तौर पर जयराम की पहली पसंद होंगे।
विपिन परमार संपूर्ण अध्यक्ष का चेहरा
बात अगर संगठन में संपूर्ण अध्यक्ष की करें तो वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार (Vipin Parmar) प्रबल दावेदार हो सकते हैं। परमार की संगठनात्मक कुशलता बेजोड़ है। हंसमुख व मृदुभाषी परमार को डाॅ बिंदल की संगठन में ताजपोशी के दौरान स्वास्थय मंत्री से विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि, परमार ने कभी इस बाबत ना ही तो नाराजगी व्यक्त की,ना ही कोई चर्चा की, लेकिन वह जयराम सरकार में बतौर स्वास्थय मंत्री ही काम करना चाहते थे।
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खैर हाईकमान के आदेशों के मुताबिक उन्हें विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गई। वर्तमान में जो हिमाचल बीजेपी के भीतर परिस्थितियां उभरकर सामने आई हैं,उसमें परमार का नाम भी संपूर्ण अध्यक्ष (President) के लिए लिया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो वह कार्यकारी नहीं सीधे पार्टी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। परमार इस बीच आज ही अपने गृह विधानसभा क्षेत्र से शिमला पहुंचे हैं। उन्हें दोबारा से जयराम सरकार में स्वास्थय मंत्री (Health Minister) का जिम्मा भी दिया जा सकता है।
सुरेश भारद्वाज को शिफ्ट करने की लाॅबिंग
बदली हुई परिस्थितियों में एक बार फिर से शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज (Education Minister Suresh Bhardwaj) पर विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने का दबाव आ सकता है। अगर विपिन परमार को जयराम सरकार (Jai Ram Govt) में स्वास्थय मंत्री या फिर पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की बात उठी तो सुरेश भारद्वाज को विधानसभा अध्यक्ष (Vidhansabha Speaker) बनाए जाने का मूव भी साथ ही शुरू हो जाएगा। इससे पहले जब डाॅ बिंदल विस अध्यक्ष पद से संगठन की तरफ आ रहे थे,उस वक्त भी सुरेश भारद्वाज को विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाए जाने की चर्चा ही नहीं बात बहुत आगे तक पहुंच गई थी। चूंकि,शिमला से नरेंद्र बरागटा (Narendra Baragata) भी जयराम सरकार में मंत्री पद चाहते हैं, अगर सुरेश भारद्वाज को उस तरफ शिफ्ट करते हैं तो नरेंद्र बरागटा अपने लिए रास्ता बनाने के लिए जमीन तैयार करेंगे। कुल मिलाकर अब एक डाॅ बिंदल के जाने से इतने सारे समीकरण एक साथ काम करना शुरू हो गए हैं।
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