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कुंभ में कोरोना पर आपस में भिड़े अखाड़े, बैरागियों ने संन्यासियों को ठहराया जिम्मेदार
हरिद्वार। देश भर में बढ़ते कोरोना का असर उत्तराखंड में चल रहे कुंभ पर भी पड़ा है। कुंभ में कई संत कोरोना पॉजिटिव (Corona positive) पाए गए हैं जिस वजह से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच कुंभ में कोरोना के फैलने पर अखाड़े आपस में ही भिड़ गए हैं। बैरागी अखाड़े ने संन्यासी अखाड़े पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाया है। कोरोना संक्रमण फैलने की वजह से कुछ अखाड़ों ने अपनी ओर से कुंभ (Kumbh) समाप्ति की घोषणा कर दी है। इस पर बैरागी अखाड़े का कहना है कि कोरोना संन्यासी अखाड़ों से फैला है, बैरागी अखाड़े ने इसे नहीं फैलाया है। ऐसे में कोई भी एक या दो अखाड़े कुंभ खत्म करने का फैसला नहीं कर सकते हैं।
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बता दें कि कुंभ में 14 अप्रैल को ही शाही स्नान हुआ है। इसी के बाद से अभी तक 50 से अधिक साधु कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। बीते 24 घंटे में ही जूना निरंजनी और आह्वान अखाड़े के कई साधु कोरोना की चपेट में आ गए थे। कुंभ में लगातार बढ़ते मामलों के बीच हरिद्वार प्रशासन (Haridwar Administration) ने रैंडम सैंपलिंग को बढ़ा दिया है। हरिद्वार में अब अलग-अलग इलाकों पर कोरोना जांच की जा रही है। निरंजनी अखाड़े की ओर से कहा गया था कि 14 अप्रैल को हुआ शाही स्नान काफी अहम था, जो पूरा हो गया है। अब कई साधुओं को कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं ऐसे में हमारे अखाड़े के लिए कुंभ मेला खत्म हो गया है।
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निरंजनी अखाड़े के कुंभ समापन की घोषणा से बैरागी संत नाराज हो गए हैं। निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर अखाड़े ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से माफी की मांग की है। उनका कहना है कि मेला समापन का अधिकार केवल सीएम और मेला प्रशासन को है। घोषणा करने वाले संत माफी नहीं मांगते तो वह अखाड़ा परिषद के साथ नहीं रह सकते। उनका कहना है कि उनका मेला जारी रहेगा और 27 अप्रैल को सभी बैरागी संत शाही स्नान करेंगे।
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