-
Advertisement
Himachal में बड़ा महायज्ञ-लाखों की भीड़,100 करोड़ खर्च
Bhunda Mahayagya : देवभूमि हिमाचल में बडा महायज्ञ होने जा रहा है, जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु उमडेंगे तो करोड़ों का खर्च होगा। भुंडा महायज्ञ (Bhunda Mahayagya) आज से 5 जनवरी तक रोहड़ू की स्पैल वैली के दलगांव में हो रहा है। उम्मीद है कि एक लाख से पांच लाख लोग इसमें शामिल होकर देवता महाराज बकरालू का आशीर्वाद लेंगे। देवता बकरालू महाराज जी रोहड़ू व रामपुर के देवता हैं। बताया जा रहा है कि इसके आयोजन पर सौ करोड़ रुपए (100 Crores Spent) तक का खर्च आएगा। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू तीन जनवरी यानी शुक्रवार को इसमें शिरकत करेंगे। आयोजन में तीन परशुराम भी शामिल होंगे, जिनमें परशुराम गुम्माए परशुराम अंदरेयोठी व परशुराम खशकंडी शामिल हैं। ये देवता भगवान परशुराम के अवतार माने जाते हैं।
सूरत राम बेड़ा के रूप में खाई पार करने की भूमिका निभाएंगे
चार दशक पहले यहां वर्ष 1985 में हुए भुंडा महायज्ञ में सूरत राम (Surat Ram) ने बेड़ा के रूप में खाई पार करने की कठिन भूमिका निभाई थी। बेड़ा एक रस्सी है जिसके माध्यम से सूरतराम मौत की घाटी को पार करेंगे। 39 साल बाद फिर मौत की घाटी में रस्सी के सहारे 9वीं बार 65 वर्षीय सूरत राम ही उतरेंगे। सूरत राम पहली बार 21 साल की उम्र में बेडा बने थे। ये रस्सी दिव्य होती है और इसे मूंज कहा जाता है। ये विशेष प्रकार के नर्म घास की बनी होती है। इसे खाई के दो सिरों के बीच बांधा जाता है। भुंडा महायज्ञ की रस्सी को बेड़ा खुद तैयार करते हैं।
एक लाख से अधिक निमंत्रण दिए गए
बेड़ा उस पवित्र शख्स को कहा जाता है, जो रस्सी से खाई को लांघते हैं। बेड़ा जाति के लोग ही इस परंपरा (People Of Beda Caste Follow This Tradition) को निभाते हैं। भुंडा महायज्ञ देवता महेश्वर, देवता बौंद्रा व देवता बकरालू व देवता मोहर्रिश के प्रेम का प्रतीक है। रोहड़ू उपमंडल के नौ गांव के लोग इस यज्ञ में सहयोग कर रहे हैं। भुंडा महायज्ञ देवता महेश्वर, देवता बौंद्रा व देवता बकरालू व देवता मोहर्रिश के प्रेम का प्रतीक है। भुंडा महायज्ञ के लिए एक लाख से अधिक निमंत्रण दिए गए हैं।
-संजू चौधरी