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बदलते मौसम की मार: हिमाचल में सेब का उत्पादन कम होने की आशंका
शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस साल पश्चिमी विक्षोभों (Western Disturbances) में आई कमी से पैदा हुए सूखे और नमी की कमी ने सेब की फसल पर गहरी मार की है। ऊपर से मई-जून के महीने में बारिश और ओलावृष्टि ने सेब की एक-चौथाई फसल उजाड़ दी है। इस बार अनुमान है कि हिमाचल प्रदेश में सेब का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 90 लाख पेटी कम हो सकता है।
राज्य में पिछले साल पौने 4 करोड़ पेटी सेब (Apple Production) का उत्पादन हुआ था, जो 2021 की तुलना में 50 लाख पेटी अधिक था। आपको बता दें कि साल 2018 में हिमाचल में सेब का उत्पादन सबसे कम 1.90 लाख पेटी का हुआ था। असल में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के दुष्प्रभावों के कारण यह दिन देखने को मिल रहे हैं, क्योंकि ग्लेशियरों के सिमटने और कम बर्फबारी का सबसे ज्यादा असर सेब के बागवानों पर पड़ा है।
किसानों का भारी नुकसान
हिमाचल प्रदेश में करीब 10 लाख किसान सेबों की बागवानी करते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Pradesh Government) का फल कारोबार 5000 करोड़ रुपये का है। हिमाचल में कुल 90 तरह सेब की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें रेड के रॉयल और गोल्डन प्रजाति यहां पैदा होती हैं। किसानों का कहना है कि एक किलो सेब पर किसान के हिस्से में महज 50 रुपये आता है, जबकि बिचौलिया उसे आगे दोगुने दाम पर बेचता है। सरकार का इस पर कोई कंट्रोल नहीं होने की वजह से ये नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।
कोल्ड स्टोरेज न होने से भी नुकसान
किसानों को अपना माल सुरक्षित रखने के लिए उनके पास कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है, जिसके कारण हर सीजन में उनका हजारों टन सेब खराब होने से उनको भारी नुकसान उठाना पड़ता है। कम उत्पादन के बावजूद 4.50 हजार करोड़ की हिमाचल की सेब की आर्थिकी पर प्रभाव तो होगा लेकिन कम उत्पादन के कारण इस बार सेब के दाम ज्यादा रहने का अनुमान है। ओलावृष्टि के कारण दागी सेब के कारण दाम कम मिल सकते हैं। हालांकि कम उत्पादन होने पर दाम अधिक हो जाते हैं लेकिन गुणवत्ता ही नहीं होगी तो दाम कैसे मिलेंगे। तापमान में गिरावट ने गुणवत्ता को प्रभावित किया है।
10 दिन पहले आ गए थे फूल
इस बार कम वर्षा, कम बर्फबारी व लगातार सूखे के कारण समय से दस दिन पूर्व सेब में फूल आ गए थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान बढ़ने के कारण तीन स्टेज में आने वाली फ्लावरिंग एक ही स्टेज में एक साथ आ गई। यही नहीं इसके बाद मौसम में तबदीली की मार ऐसी पड़ी की तापमान गिर गया। इसके कारण सेटिंग प्रभावित हुई।
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