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CM जयराम का ‘नायक’ अवतार, महिला का दर्द सुन पैदल चल पड़े घर की ओर
मंडी। सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) सोमवार को मंडी जिले के कोटली में विभिन्न विकास योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के बाद लौट रहे थे। इस दौरान वह सड़क के किनारे खड़े लोगों का अभिवादन स्वीकार करते जा रहे थे। तभी चनौण गांव के पास सड़क किनारे खड़ी महिलाओं में से एक महिला होकर सीएम के काफिले की तरफ बढ़ने लगी। जिन्हें देखकर सीएम ने गाड़ी रुकवाई। जब काफिला रुका तो यह महिला हाथ में कागज लिए गाड़ी की ओर दौड़ी।
महिला ने बढ़ाया कागज का टुकड़ा
महिला ने गाड़ी में बैठे सीएम की ओर कागज का टुकड़ा बढ़ाया। यह एक ऐसे मरीज का प्रार्थना पत्र था जो खुद अपनी आपबीती सुनाने के लिए घर से सड़क तक चल कर नहीं आ सकता था। वह दो साल से बिस्तर पर लेटा हुआ मरीज एक सड़क हादसे में चलने फिरने की शक्ति खो बैठा था। अपाहिज बनकर घर की बिस्तर पर पड़ा था।
चल फिर नहीं सकते किशनचंद
किशन चंद नाम के इन शख्स ने लिखा था कि वह चल फिर नहीं सकते, इसलिए मेडिकल (Medical) भी नहीं करवा रहे। उन्होंने मेडिकल करवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। मगर अभी कोई कार्रवाही नहीं होने के कारण उन्हें सरकार की ओर से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है।
सीएम से की मौके पर चलने की गुजारिश
सीएम ने मौके पर उस प्रार्थना पत्र पर एक लाख रुपये की फौरी मदद करने का नोट लिखा। साथ ही कहा कि वह अधिकारियों से कहेंगे कि इस मामले को जल्दी देखें। पात्र होने पर सहारा योजना के तहत पेंशन लगाएं। मगर किश्न चंद के परिवार की महिलाओं, जिनमें उनकी पत्नी भी शामिल थीं। उसने सीएम से घर चलकर किशन चंद को देखने की गुजारिश की। किशन की पत्नी ने कहा कि वह उनके घर चलकर एक बार खुद उनकी हालत देख लें। उनका कहना था कि घर सड़क के साथ ही है।
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पैदल चल पड़े सीएम
सीएम गाड़ी से उतरे और महिला से पूछा कि घर किस ओर है। सीएम के गाड़ी से उतरने के बाद काफिले के अन्य नेता भी गाड़ियों से उतरकर सीएम और महिला के पीछे चल पड़े। कुछ दूरी तय करने के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने किश्न कुमार से मुलाकात की। उनका हाल जाना। इस दौरान किश्न भी भावुक होकर अपनी मजबूरी बताते नजर आए।
सहारा योजना के तहत मिलेगा लाभ
सीएम ने डीसी मंडी को कहा कि राज्य सरकार की सहारा योजना के तहत इन्हें जल्द पेंशन लगाई जाए। बता दें कि सीएम जयराम ठाकुर की ओर से शुरू की गई इस योजना के तहत गंभीर बीमारी के कारण चलने फिरने में असमर्थ हो जाने वालों को हर महीने तीन हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। यह योजना प्रदेश में अब तक हजारों लोगों के लिए सहारा बन चुकी है।