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चैत्र नवरात्रः भूलकर भी ना करें ये काम, माता रानी हो सकती है नाराज
Last Updated on March 19, 2023 by saroj patrwal
वैसे तो नवरात्र वर्ष में चार बार आती है। लेकिन इन चारों में चैत्र और अश्विन की नवरात्र को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। चैत्र नवरात्र से ही विक्रम संवत की शुरुआत होती है। मान्यता है कि दुर्गा माता के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की इसलिए चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है।
मन में किसी भी व्यक्ति के लिए बुरी भावना ना लायें
चैत्र नवरात्र मनाने के पीछे मान्यता ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी और सूर्य इस समय एक विशेष स्थिति पर होते हैं, जिससे मनुष्य के शरीर पर जीवाणुओं और विषाणुओं द्वारा बाह्य आक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए शरीर को स्वच्छ रखना और अपने अन्दर की ऊर्जा को और बढ़ाना जरुरी हो जाता है। इसके अलावा, सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होता है जिसका प्रभाव हर जीवित इकाई पर होता है। इस समय प्रकृति से विशेष प्रकार की ऊर्जा का प्रवाह होता है जिसे प्राप्त करने के लिए शक्ति की देवी दुर्गा की कृपा ली जाती है इसलिए मां की नौ शक्तियों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है।
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- अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखें। मन में किसी भी व्यक्ति के लिए बुरी भावना ना लायें।
- देवी की आराधना करने वालों को नवरात्र के दिनों में नाख़ून काटने से बचना चाहिए। शराब से रहें दूर शराब मदिरा या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन ना करें।
- प्याज और लहसुन को भोजन में शामिल ना करें। तामसिक भोजन से बुरे विचार आते हैं। अपने ऊपर नियंत्रण के लिए प्याज और लहसुन जो तामसिक गुण रखते हैं इनसे दूर रहे।
- नवरात्र का मतलब ही है अपनी आन्तरिक शुद्धता और ऊर्जा को बढ़ाना। ऐसे में शराब का सेवन बिलकुल वर्जित है। तामसिक भोजन व मांसाहार ना करें भोजन में संयम बरतें। मांसाहार एकाग्रता को भंग करता है। इस दौरान मांसाहार से दूर रहे।