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वैसे तो नवरात्र वर्ष में चार बार आती है। लेकिन इन चारों में चैत्र और अश्विन की नवरात्र को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। चैत्र नवरात्र से ही विक्रम संवत की शुरुआत होती है। मान्यता है कि दुर्गा माता के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की इसलिए चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है।
चैत्र नवरात्र मनाने के पीछे मान्यता ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी और सूर्य इस समय एक विशेष स्थिति पर होते हैं, जिससे मनुष्य के शरीर पर जीवाणुओं और विषाणुओं द्वारा बाह्य आक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए शरीर को स्वच्छ रखना और अपने अन्दर की ऊर्जा को और बढ़ाना जरुरी हो जाता है। इसके अलावा, सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होता है जिसका प्रभाव हर जीवित इकाई पर होता है। इस समय प्रकृति से विशेष प्रकार की ऊर्जा का प्रवाह होता है जिसे प्राप्त करने के लिए शक्ति की देवी दुर्गा की कृपा ली जाती है इसलिए मां की नौ शक्तियों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है।
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