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पौष पुत्रदा एकादशी पर जरूर करें ये उपाय, संतान के सभी कष्ट होंगे दूर
नया साल शुरू हो चुका है। नव वर्ष के दूसरे दिन यानी 2 जनवरी को सबसे पहला त्योहार जो पड़ रहा है वो है पौष पुत्रदा एकादशी। भगवान विष्णु पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। पुत्रदा एकादशी ही एकमात्र ऐसा एकादशी व्रत है, जो साल में दो बार आता है। पहली पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है, वहीं दूसरी पुत्रदा एकादशी का व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।
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- पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि विधान के साथ की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि जिन लोगों की संतान नहीं है, उन लोगों को यह व्रत जरूर करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो कोई इस व्रत को करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह व्रत खासकर संतान संबंधी संकटों को दूर करने के लिए रखा जाता है।
- हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत 1 जनवरी को शाम 7 बजकर 12 मिनट से हो रही है और इसका समापन 2 जनवरी शाम 8 बजकर 24 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, पुत्रदा एकादशी व्रत 2 जनवरी को रखा जाएगा। वहीं, व्रत का पारण 3 जनवरी सुबह 7 बजकर 16 मिनट से 9 बजकर 22 मिनट के बीच किया जा सकता है।
- ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि पौष पुत्रदा एकादशी के दिन मंदिर में गेंहू अथवा चावल का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति और संतान को लंबी बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।
- एकादशी तिथि के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और वृक्ष की पूजा करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एकादशी व्रत के दिन तुलसी के पौधे की पूजा करें और पौषे के पास शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु को पीला रंग सर्वाधिक प्रिय है। इसलिए पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन पूजा काल में भगवान विष्णु को धूप दीप के साथ पीले रंग का पुष्प, फल और वस्त्र अर्पित करें। ऐसा करने से श्री हरि अपने भक्तों से सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं।
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