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सोमवती अमावस्या पर इन चीजों का करें दान, दिन दूनी रात चौगुनी होगी तरक्की
Somvati Amavasya Daan: अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म (Hindu Religion) में विशेष स्थान है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या (Amavasya) को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) साल में एक या दो बार ही पड़ती है। इस साल सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल 2024, दिन सोमवार को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और इसी रात 11 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इस दिन स्नान-दान का मुहूर्त सुबह 4:32 से लेकर सुबह 05:18 तक रहेगा। सोमवती अमावस्या व्रत (Somvati Amavasya Vrat) को मुख्यतौर पर सुहागिन महिलाएं रखती हैं। अपने पति की लंबी आयु के लिए विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं। धार्मिक मान्यतानुसार, इस दिन पितरों को पिंडदान किया जाए, तो वह प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देने है।
- मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और तरक्की होती है। आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए।
- कपड़ों- धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिस तरह व्यक्ति को मौसम के मुताबिक वस्त्रों की जरूरत पड़ती है, उसी तरह पितरों (Ancestors) को भी कपड़ों की जरूरत होती है। गरुड़ पुराण में इसका वर्णन मिलता है। इसलिए सोमवती अमावस्या को अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए वस्त्रों का दान करें।
- चांदी की चीजें- पौराणिक मान्यता है कि पितृ लोक का स्थान चंद्रमा के ऊपरी हिस्से में होता है, इस कारण पितरों को चांदी से बनी वस्तुओं का दान करने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से पितरों का आर्शीवाद वंशजों पर बना रहता है।
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- सफेद चीजें- पितरों को खुश करने के लिए चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं जैसे दूध और चावल का दान कर सकते हैं। अगर आपके पितर आपसे रूठे भी होंगे तो वह भी खुश हो जाते हैं। उनका आशीर्वाद मिलता है और वंश की वृद्धि होती है।
- काले तिल- शास्त्रों में काले तिल का दान बेहद अहम माना जाता है। अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद आप पितरों को ध्यान करते हुए काले तिल का दान कर दें। इसके बाद बाकी जो भी वस्तुएं दान करें, उस दौरान हाथ में काले तिल लेकर दान करें।
- जिन लोगों ने अपने पितरों का पिंडदान नहीं किया है, वे लोग सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के लिए पिंडदान जरूर करें। माना जाता है कि अमावस्या पर पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।