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हिमाचल में दशहरा उत्सव की धूम, धू-धू कर जले रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले
शिमला। हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार को दशहरा उत्सव (Dussehra Festival) बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। हालांकि इस बार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा उत्सव का रंग कोरोना के चलते थोड़ा फीका जरूर रहा। फिर भी छोटे स्तर पर ही प्रदेश भर में दशहरा उत्सव पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया। हिमाचल की राजधानी शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर (Famous Jakhu Temple) में शाम साढ़े पांच बजे रावण के पुतले का दहन किया गया। यहां भी कोरोना के चलते दशहरा उत्सव का आयोजन छोटे स्तर पर किया गया था। डीसी शिमला (Shimla) आदित्य नेगी ने मशाल से पुतलों को आग लगाई। जाखू में इस बार रावण का पुतला 35 फीट ऊंचा, कुंभकर्ण 30 और मेघनाद का पुतला 25 फीट का बनाया गया था। मंदिर में दशहरा उत्सव के समय 50 फीसदी क्षमता के साथ लोगों को प्रवेश दिया गया।
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जिला कांगड़ा में भी दशहरा उत्सव की धूम रही। धर्मशाला (Dharamshala) के पुलिस मैदान में आयोजित होने वाला जिलास्तरीय दशहरा उत्सव में भी पुतले छोटे स्तर पर बनाए गए थे। धर्मशाला के पुलिस मैदान में दशहरा उत्सव के तहत का रावण का पुतला 25 फीट जबकि मेघनाथ और कुंभकर्ण के 20-20 फीट के पुतले जलाए गए। इससे पहले पुलिस मैदान में पटाखों से पूरा आसमान रंगीन हो गया। जयसिंहपुर का राज्यस्तरीय दशहरा उत्सव इस बार भी कोरोना के चलते नहीं मनाया जा सका और यहां ना ही पुतले जलाए गए।
चंबा। विजयदशमी का पर्व शुक्रवार को चंबा जिले में हर्षोल्लास से मनाया गया। इस दौरान जगह-जगह रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और भाई कुंभकरण का पुतले जलाए गए। भगवान श्रीराम के वेश में जैसे ही रावण के पुतला में आग लगाईए पूरा चौगान मैदान जय श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा। सदर के विधायक पवन नैयर, डीसी चंबा डीसी राणा, नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैयर, रामलीला क्लब के प्रधान धीरज महाजन समेत अन्य लोग मौजूद रहे। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए चौगान में रावण के पुतले का दहन किया गया। कोरोना महामारी के दौरान इस बार रामलीला के आयोजन के साथ शोभायात्रा भी निकाली गई।
हमीरपुर। जिला हमीरपुर में भी शुक्रवार को बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व धूमधाम से मनाया गया। जिलाभर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए गए। जिले के सबसे प्रसिद्ध शिवपुरी धाम समताना में इस बार कोरोना के कारण दशहरा उत्सव सूक्ष्म रूप में ही मनाया गया। महज 15-15 फीट के पुतले जलाए गए। शाम छह बजे भगवान राम की कमान से निकला तीर रावण की नाभि में लगा और रावण धू.धू कर जला। इसके साथ ही मेघनाद और कुंभकर्ण भी जलाए गए। वहीं, सुजानपुर के चौगान में दो जगह रावण दहन किया गया। एक आयोजन मुरली मनोहर मंदिर कमेटी की ओर से तो दूसरा काली माता मंदिर कमेटी की ओर से किया गया। वहीं नादौन में दिन के समय रामलीला के मंचन के बाद शाम को रावण दहन किया गया।
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