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मंडी में लगाया गया ईट राइट मेला, लोगों को सही आहार लेने के लिए किया प्रेरित
Last Updated on May 30, 2022 by Neha Raina
मंडी। हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में सोमवार को मंडी शहर के इंदिरा मार्केट की छत पर लगे एक दिवसीय मेले में मंडी जिला के विभिन्न स्थानों से आए महिला मंडलों, स्वयं सहायता समूहों ने लोकल खाद्य उत्पादों के स्टॉल लगाए। इसके साथ ही विभागीय प्रदर्शनियों को भी लोगों की जानकारी के लिए लगाया गया।
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भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) (Food Safety and Standards Authority of India) (FSSAI) द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय मेले का शुभारंभ मंडलायुक्त मंडी राखिल काहलों ने किया। इस मौके पर उन्होंने अधिकतर स्टॉलों पर जाकर बने हुए लोकल उत्पादों का जायजा लिया। उन्होंने अपने संबोधन में सभी से स्वच्छ और सही तरीके से खाना बनाने और खाने की अपील की। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की ओर से लोगों को स्वच्छ आहार के बारे में जागरूक किया जा रहा है, जिससे निश्चित तौर पर आने वाले समय में हम बीमारियों से दूर स्वतः ही हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हमें अपने लोकल खाद्य उत्पादों को भी सहेजने की जरूरत है। साथ ही मंडी में अन्य भोजन परोसने वाले स्थानों पर सफाई और गुणवत्ता का ख्याल रखना भी जरूरी है ताकि लोगों को पोषणयुक्त भोजन मिल सके।
ईट राइड मेले (Eat Right Mela) के दौरान विभिन्न स्वयं सहायता की महिलाओं व व्यापारियों ने भी अपने विचार सांझा किए। जागृति स्वयं सहायता समूह घोड़ीधार की प्रवीण कुमारी ने बताया कि उन्होंने जो भी उत्पाद लाए हैं वे सभी प्राकृतिक है। जिसमें देसी मशरूम, देशी कोहल, घराट का आट इत्यादि शामिल है। वहीं, जय मां नैना कोट स्वयं सहायता समूह की सदस्य गीता देवी ने बताया कि उन्होंने लिंगड़ का अचार, गेहूं का दलिया, सीरा इत्यादि खाद्य उत्पाद का स्टॉल उन्होंने मेले में लगाया है। यह सभी उत्पाद स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए हैं।
नैना फेडरेशन की प्रधान रमा ठाकुर ने बताया कि इस तरह के मेलों का आयोजन ग्राम स्तर पर भी होना चाहिए ताकि ग्रामीण महिलाओं को भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिल सके। ईट राइट मेले के दौरान मंडी के धीरज महाजन ने प्राकृतिक शहद (Honey) का भी स्टॉल लगाया। वे 2018 से प्राकृतिक तरीके से शहद निकाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे मधुमक्खियों को माइग्रेशन के लिए लाहुल-स्पीति से लेकर मध्यप्रदेश तक लेकर जाते हैं। यह शहद प्राकृतिक तरीके से तैयार किया गया है, जिसकी हिमाचल समेत बाहरी राज्यों में भी काफी मांग है।
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