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यूक्रेन जंग की आग का धुआं आपकी जेब से होकर निकलेगा, कैसे जानने के लिए पढ़े
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) का असर भारत समेत पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। दुनियाभर के शेयर मार्केट में भारी गिरावट का दौर चल रहा है, भारतीय बाजार में 2702 अंक गिरावट के साथ ही रूसी बाजार भी 50% डाउन है। इस सबके बीच क्रूड ऑयल की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है, आशंका जताई जा रही है कि भारत में पेट्रोल (Petrol-Diesel) और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं। पैलेडियम की कीमत में भी तेजी इजाफा होने लगा है, इसकी वजह ये है पैलेडियम का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन रूस में होता है। ऐसे में रूस.यूक्रेन युद्ध के बीच पैलेडियम ये जुड़ी चीजों के रेट में भारी इजाफा देखने को मिल सकता है। युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम में पिछले 24 घंटों में काफी बदलाव हुए है। रूस के इस कदम से अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों ने रूस पर सीमित प्रतिबंध लगा दिए हैं। ये आशंका जताई जा रही है कि रूस-यूक्रेन के युद्ध से पैदा हुआ संकट अगले कई दिनों तक यूं ही चलेगा।
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रूस-यूक्रेन के युद्ध के भारत पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए जानना होगा कि भारत (India) का का रूस और यूक्रेन दोनों के साथ व्यापारिक रिश्ता है। साथ ही भारतीय नागरिक इन दोनों ही देशों में रहते हैं। यूक्रेन में ज्यादातर स्टूडेंट्स हैं, वही, रूस में स्टूडेंट्स के साथ-साथ नौकरीपेशा भी हैं। भारतीय दूतावास के मुताबिक, करीब 14 हजार भारतीय रूस में रहते हैं। इनमें करीब 5 हजार छात्र हैं, वहीं, 500 बिजनेसमैन हैं। यूक्रेन में सबसे ज्यादा संख्या मेडिकल स्टूडेंट्स की है, करीब 18 से 20 हजार स्टूडेंट्स यहां पढ़ते हैं।
इन दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध से भारत की अर्थव्यवस्था (Economy) पर गहरा असर पड़ेगा। आशंका जताई जा रही है कि तेल की कीमतों में उछाल से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियां बन सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इस बात को मान चुकी हैं कि सीधे तौर पर व्यापार में कोई फर्क नहीं होगा, लेकिन, वैश्विक तनाव की वजह से बढ़ती तेल कीमतें का असर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण है। दरअसल, भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी (Oil) तेल इंपोर्ट करता है। इसमें से ज्यादातर इंपोर्ट सऊदी अरब और अमेरिका से होता है। इसके अलावा भारत, ईरान, इराक, ओमान, कुवैत, रूस से भी तेल लेता है। दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश अमेरिका है, यहां करीब 16.18 फीसदी तेल उत्पादन होता है। वहीं, रूस (Russia) और सऊदी अरब में 12.12 फीसदी का उत्पादन होता है। 3 में से 2 बड़े देश युद्ध जैसी स्थिति में आमने-सामने होंगे तो तेल की सप्लाई पूरी दुनिया में प्रभावित होगी। यही वजह है कि तेल की कीमतें 8 साल की ऊंचाई पर हैं।
पेट्रोल- डीजल के भाव में एकदम से तेजी आने से सब्जी और जरूरत की चीजों के भाव भी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। ये भी ध्यान रखना होगा कि दुनिया में सबसे ज्यादा रिफाइंड सूरजमुखी यूक्रेन से एक्सपोर्ट होता है। यूक्रेन (Ukraine) के बाद (Refined) रिफाइंड सप्लाई में रूस का नंबर है। दोनों देशों के बीच युद्ध लंबे समय चला तो घरों में इस्तेमाल होने वाले सूरजमुखी तेल की किल्लत हो सकती है। भारत के लिए यूक्रेन का बाजार फर्टिलाइजर के लिए भी बड़ा है। यहां से बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर भारत आता है। रूस से मोती, कीमती पत्थर, धातु का इंपोर्ट होता है। काफी धातुओं का इस्तेमाल तो स्मार्टफोन और कंप्यूटर बनाने के लिए किया जाता है। ऐसे में इनके भी आने वाले दिनों में महंगे होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।