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Kargil Vijay Diwas-2020: 21 साल बाद भी कारगिल युद्ध का मंजर जांबाज पदम की आंखों के सामने यूं आ जाता है
सोलन। 21वां कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) आज है,कई यादें आंखों के सामने घूमने लगती हैं। कारगिल युद्ध में सही सलामत घर लौटे सैनिक ने उस समय की यादों को ताज़ा करते हुए अपने कई अनुभव साझा किए। हिमाचल के सोलन जिले के अर्की उपमंडल के बपड़ोहन गांव के पदम देव ठाकुर (Padam Dev Thakur) ने 18 ग्रेनेडियर बटालियन के साथ कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लिया था। सेना से सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए पदम देव ठाकुर का कहना है कि कारगिल युद्ध (Kargil war) में भारतीय जवानों की हिम्मत थी जो मातृभूमि की रक्षा के लिए सीने पर गोलियां खाते हुए दुश्मनों पर टूट पड़े थे। इससे दुश्मन के हौसले पस्त हो गए थे। इसी हिम्मत के साथ भारतीय सेना ने 1999 में हुए करगिल युद्ध में जीत दर्ज की थी। 21 साल बाद भी कारगिल युद्ध का मंजर आज भी आंखों के सामने आ जाता है।
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तोलोलिंग पर किया था कब्जा
पदम देव ठाकुर का कहना है कि उनकी 18 ग्रेनेडियर बटालियन 16 मई 1999 को द्रास सेक्टर गई थी। बटालियन को तोलोलिंग को फतह करने का लक्ष्य मिला था। जब जवान फतेह करने निकले तो दुश्मनों की स्थिति का कोई अंदाजा नहीं था। इस कारण कई जवान शहीद हो गए थे। फिर तोलोलिंग का टास्क- 2 राजपुताना राइफल को मिला। इसमें उनकी बटालियन के जवान भी शहीद हुए लेकिन तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया। उसके बाद 18 ग्रेनेडियर को टाइगर हिल की जिम्मेदारी मिली। हमारी बटालियन ने टाइगर हिल के कई महत्वपूर्ण प्वाइंट को कब्जे में लिया। उसके बाद चार जुलाई को टाइगर हिल (Tiger hill) को जीत लिया था। इसलिए 18 ग्रेनेडियर हर साल चार जुलाई को टाइगर हिल फतेह का जश्न मनाती है।
नायब सूबेदार के पद पर थे पदम देव
जांबाज पदम देव का कहना है कि जिस समय टाइगर हिल पर युद्ध हो रहा था तो घातक प्लाटून में शामिल जवान योगेंद्र सिंह यादव व उनके साथियों पर दुश्मनों ने फायरिंग कर दी। इसमें योगेंद्र सिंह यादव को 18 गोलियां लगी, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया था। इसके बाद योगेंद्र ने कैंप में आकर टाइगर हिल की सारी जानकारी दी। इस पर जवानों ने बिना किसी नुकसान के दुश्मनों को पस्त कर टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया। सितंबर 1979 में सेना में शामिल हुए पदम देव का कहना है युद्ध में सैकड़ों जवान शहादत देकर अमर हो गए और उनके बलिदान से ही दुश्मन पर जीत मिली। उनकी बटालियन 18 ग्रनेडियर को युद्ध में एक परमवीर चक्र(PVC), दो महावीर चक्र, छह वीर चक्र, एक शौर्य चक्र, एक युद्ध सेवा मेडल, 19 सेना मेडल व युद्ध प्रशंसनीय पत्र मिला था। पदम देव कारगिल युद्ध के समय वह नायब सूबेदार के पद पर थे। 2000 में सूबेदार, 2005 में सूबेदार मेजर जबकि 2009 में सेवानिवृत्ति के दौरान वह ऑननरी कैप्टन बने।