मौत के बाद 4 लोगों को रोशनी दे सकता है एक इंसान, IGMC में जल्द शुरू होगी सुविधा

प्रदेश के करीब 4 हजार दृष्टिहीनों को होगा फायदा

मौत के बाद 4 लोगों को रोशनी दे सकता है एक इंसान, IGMC में जल्द शुरू होगी सुविधा

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में भी अब एक इंसान अपनी मौत के बाद चार दृष्टिहीनों की दुनिया रोशन कर सकता है। ऐसा दान में मिले दो कॉर्निया (Cornea) को दो-दो हिस्सों में विभाजित कर चार लोगों की आंखों में प्रत्यारोपित किया जा सकेगा। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र बैंक में जल्दी ही यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।


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यह खुलासा आईजीएमसी (IGMC) के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष और नेत्र बैंक के नोडल अधिकारी प्रोफेसर डॉ. रामलाल शर्मा ने उमंग फाउंडेशन के वेबीनार में किया। इससे प्रदेश में कॉर्निया की खराबी से देख पाने में असमर्थ करीब 4 हजार लोगों की उम्मीदों को भी पंख लग गए हैं। उन्होंने बताया कि दृष्टिहीन व्यक्ति भी मृत्यु के बाद नेत्रदान कर दूसरों को उजाला दे सकते हैं, बशर्ते उनका कॉर्निया ठीक हो। डॉ. शर्मा ने बताया कि एक व्यक्ति से मिले दो कॉर्निया को 4 लोगों में प्रत्यारोपित करने के लिए लगभग 40 लाख रुपए की जरूरी मशीनें जल्द ही आने वाली हैं। कोरोना (Corona) के कारण इसमें देरी हुई है। उन्होंने शिमला में नेत्र बैंक की स्थापना और नेत्रदान के प्रति जागरूकता लाने में के लिए उमंग फाउंडेशन के प्रयासों की भी सराहना की।

राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि नेत्रदान और अंगदान को बढ़ावा देने की मुहिम तेज की जाएगी। डॉ. रामलाल शर्मा ने बताया कि पूरे देश और हिमाचल में बहुत कम आंखें दान की जाती हैं। देश के करीब एक करोड़ 20 लाख दृष्टिबाधित लोगों में से 20 लाख व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें नेत्र प्रत्यारोपण करके रोशनी लौटाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि लक्ष्य प्रतिवर्ष एक लाख कॉर्निया प्राप्त करने का है। हर वर्ष लगभग एक करोड़ लोगों की मृत्यु होती है, जबकि उनसे सिर्फ 40 से 50 हजार कॉर्निया ही दान में मिल पाते हैं।

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वहीं, हिमाचल प्रदेश में नेत्रदान की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि यहां 3 से 4 हजार लोग कॉर्निया की खराबी से देख नहीं पाते हैं। उन्होंने बताया कि नेत्र बैंक शिमला के अलावा कांगड़ा जिले के टांडा मेडिकल कॉलेज में हैं। हमीरपुर में नेत्र संग्रह केंद्र है जहां कॉर्निया दान किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि शिमला के नेत्र बैंक ने अभी तक नेत्र प्रत्यारोपण कर 276 लोगों को रोशनी लौटाई है। अभी 180 दृष्टिहीन व्यक्ति प्रतीक्षा सूची में दर्ज हैं और 1163 लोगों ने नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा है। उन्होंने बताया कि आईजीएमसी शिमला में हर वर्ष लगभग 1500 लोगों की मृत्यु होती है। अगर इन से पर्याप्त संख्या में कॉर्निया प्राप्त हो जाएं तो प्रतीक्षा सूची जल्द खत्म हो सकती है।

प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि मृत व्यक्ति की आंख से कॉर्निया 6 से 8 घंटे के भीतर निकालना पड़ता है। इसमें आंख में कोई विकृति नहीं आती। उन्होंने बताया कि नेत्रदान के लिए संकल्प पत्र भर कर अपने परिवार और मित्रों को भी सूचित करना चाहिए। संकल्प पत्र भरने वाले लोगों की मृत्यु होने पर उनके परिजन नेत्रदान के लिए अधिकृत होते हैं। नेत्रदान के लिए कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं होती। हालांकि, कुछ संक्रामक बीमारियों और जहर से मरे लोगों का नेत्रदान नहीं हो सकता है।

 

 

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