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ऑटो सेक्टर का सबसे फीका फेस्टिव सीजन, सालाना ब्रिकी दर में 5 फीसदी की गिरावट
नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर झेलने के बाद इकोनॉमी को त्योहारी सीजन में बूस्ट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन ऑटोमोबाइल सेक्टर ने कई दशक बाद इतना बुरा दौर देखा है। चिपसेट की कमी, बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम और कोरोना के चलते अक्टूबर और नवंबर के शुरुआत में कुल मासिक बिक्री घट गई है। मासिक बिक्री में सालाना आधार पर 5.33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
अगर 2019 अक्टूबर से तुलना की जाए तो कुल खुदरा बिक्री में 26.64 प्रतिशत की गिरावट जारी है। पिछले 42 दिनों के उत्सव की अवधि के दौरान, कुल वाहन खुदरा बिक्री में साल-दर-साल 18 प्रतिशत की गिरावट आई। 3W और CV को छोड़कर, जो 53% और 10% ऊपर थे, अन्य सभी श्रेणियां 2W, PV और ट्रैक्टर 18%, 26% और 23% नीचे चली गईं।
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अक्टूबर 2021 में 2W घटकर 15 लाख ,79 हजार,642 हो गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 19 लाख,38 हजार,066 यूनिट्स की बिक्री हुई थी। पिछले साल पेसेंजर गाड़ियों की बिक्री 4 लाख 39 हजार 564 थी जो इस अक्टूबर में घटकर 3 लाख,24 हजार,542 यूनिट रह गई। ट्रैक्टर की बिक्री भी इस बार प्रभावित हुई, पिछले सीजन में 73 हजार,925 यूनिट से यह घटकर महज 56 हजार,841 ट्रैक्टरों की बिक्री हुई।
बाजार में वाहनों की बिक्री को लेकर एक्सपर्ट विंकेश गुलाटी न कहा कि ऑटोमोबाइल बाजार ने पिछले एक दशक में सबसे खराब त्योहारी सीजन देखा है। सेमी-कंडक्टर की कमी, जो पहले से ही एक पूर्ण संकट था। उसने अपना असली रंग दिखाया है। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने परिवार की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के कारण पैसे बचाना जारी रखा।
2W श्रेणी को कम बिक्री का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, जिसमें प्रवेश स्तर की श्रेणी सबसे बड़ा स्पॉइलस्पोर्ट है। खुदरा क्षेत्र में ग्रामीण संकट, लगातार कीमतों में बढ़ोतरी, ईंधन की कीमतों में तीन अंकों की बढ़ोतरी और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों के लिए धन बचाने वाले ग्राहकों ने मांग को कम रखा है। जिसके चलते इसका सीधा असर कार कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों और खुले बाजार में वाहन सर्विसिंग सेवा प्रदान कर रहे मैकेनिक पर पड़ेगा।
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